क्या सुप्रीम कोर्ट ने दल-बदल मामले में तेलंगाना स्पीकर को एक सप्ताह का अल्टीमेटम दिया?
सारांश
Key Takeaways
- सुप्रीम कोर्ट की सख्त चेतावनी
- स्पीकर को एक हफ्ते में निर्णय लेना होगा
- दल-बदल कानून का प्रभाव
- राजनीतिक हस्तक्षेप का मुद्दा
- न्यायपालिका की सक्रियता
नई दिल्ली, 18 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तेलंगाना विधानसभा में एक महत्वपूर्ण मामले में सख्त रुख अपनाया है, जिसमें बीआरएस से कांग्रेस में शामिल हुए 10 विधायकों को दल-बदल कानून के तहत अयोग्य ठहराने की मांग की गई है।
मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई की अध्यक्षता में बेंच ने तेलंगाना विधानसभा के स्पीकर को स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि वह एक हफ्ते के भीतर इस याचिका पर कोई निर्णय नहीं लेते, तो अदालत इसे अवमानना मान सकती है।
दरअसल, पिछले वर्ष के तेलंगाना विधानसभा चुनावों के बाद, बीआरएस के 10 विधायकों ने कांग्रेस का दामन थाम लिया था। इसके बाद, बीआरएस ने स्पीकर के पास इन विधायकों को दसवीं अनुसूची (दल-बदल कानून) के तहत अयोग्य घोषित करने की याचिका दायर की थी, लेकिन एक साल से अधिक समय बीत जाने के बावजूद स्पीकर ने कोई निर्णय नहीं लिया।
सुप्रीम कोर्ट ने 31 जुलाई 2025 को स्पीकर को स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा था कि इस मामले का समाधान तीन महीने के भीतर, यानी अक्टूबर के अंत तक करना होगा। जब सोमवार को मामले की सुनवाई हुई, तो स्पीकर द्वारा अभी तक कोई निर्णय न लेने की जानकारी दी गई, जिस पर सीजेआई ने गहरी नाराजगी व्यक्त की।
उन्होंने कड़े शब्दों में कहा, “स्पीकर या तो एक हफ्ते में निर्णय लें या फिर खुद तय कर लें कि नए साल (2026) में वे कहां रहना चाहते हैं।” कोर्ट का इशारा स्पष्ट था कि अगर देरी जारी रही तो अवमानना की कार्रवाई हो सकती है और स्पीकर को जेल भी जाना पड़ सकता है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि स्पीकर जानबूझकर निर्णय को टाल रहे हैं ताकि सत्ताधारी पक्ष को लाभ मिल सके। बेंच में मौजूद जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जस्टिस संजय करोल ने भी स्पीकर के रवैये पर नाराजगी जताई।
कोर्ट ने स्पीकर को अगले सुनवाई तक, यानी एक हफ्ते में अंतिम निर्णय लेने का एक आखिरी मौका दिया है।