क्या सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार को नए स्कूल खोलने का निर्देश दिया?
सारांश
Key Takeaways
- सुप्रीम कोर्ट का निर्णय केरल की शिक्षा प्रणाली में सुधार का संकेत है।
- हर बच्चे को शिक्षा का अधिकार सुनिश्चित किया जाएगा।
- सरकार को शीघ्र नीति तैयार करने का निर्देश दिया गया है।
नई दिल्ली, 25 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक सुनवाई के दौरान केरल की स्कूल शिक्षा की स्थिति पर चिंता व्यक्त की। सीजेआई जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि यदि शत प्रतिशत साक्षरता का दावा करने वाला राज्य इस स्थिति में है, तो यह बेहद चिंताजनक है। उन्होंने स्पष्ट किया कि शिक्षा में कोई कमी स्वीकार नहीं की जाएगी।
जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने यह निर्देश दिया है कि उन सभी क्षेत्रों में, जहां पहले से कोई सरकारी लोअर प्राइमरी या प्राइमरी स्कूल नहीं है, वहां नए स्कूल स्थापित किए जाएं ताकि हर बच्चे को पढ़ाई का अवसर मिल सके। कोर्ट ने कहा कि सरकार को तीन महीने के भीतर इसके लिए एक नीति तैयार करनी होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि जहां हर 1 किलोमीटर के दायरे में कोई लोअर प्राइमरी स्कूल नहीं है और हर 3 किलोमीटर के दायरे में कोई अपर प्राइमरी स्कूल नहीं है, वहां नए स्कूल खोले जाएं। यदि स्कूल के लिए कोई इमारत नहीं है, तो अस्थाई रूप से प्राइवेट इमारत का उपयोग किया जा सकता है। स्थायी स्कूल भवनों के लिए बजट का प्रावधान करना भी आवश्यक है।
अदालत ने पंचायतों की जिम्मेदारी भी निर्धारित की। कोर्ट ने कहा कि पंचायतों को अपनी तरफ से उपलब्ध जमीन की जानकारी सरकार को देनी चाहिए ताकि नए स्कूलों के लिए स्थान मिल सके। शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए, रिटायर्ड शिक्षकों को अस्थाई रूप से नियुक्त किया जा सकता है, जब तक नए शिक्षकों की भर्ती नहीं हो जाती।
सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार को स्पष्ट निर्देश दिया है कि हर क्षेत्र में सरकारी स्कूल होने चाहिए ताकि कोई भी बच्चा शिक्षा के अधिकार से वंचित न रहे। इसके लिए सरकार को तीन महीने के भीतर एक नीति तैयार करनी होगी।
हालांकि, सरकार के लिए यह एक चुनौती है कि वह जल्द से जल्द योजना तैयार करे, बजट का प्रावधान करे और नए स्कूल खोलने की प्रक्रिया आरंभ करे।