क्या तेजस्वी ने फिर से एसआईआर पर सवाल उठाए? गुजरात के मतदाता बिहार के वोटर बन रहे हैं!

सारांश
Key Takeaways
- बिहार की मतदाता सूची का पुनरीक्षण एक गंभीर मामला है।
- तेजस्वी यादव ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
- निर्मला देवी के पास दो ईपिक कार्ड होने का मामला चर्चा का विषय है।
- राजनीतिक दलों को पारदर्शिता बनाए रखनी चाहिए।
- बिहार लोकतंत्र की जननी है, इसे मरने नहीं देना चाहिए।
पटना, १३ अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। बिहार की मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर राजनीतिक विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है। दिल्ली से लेकर बिहार तक, विपक्ष इस मुद्दे पर सख्त प्रतिक्रिया दे रहा है। इसी बीच, बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने एक बार फिर एसआईआर पर सवाल उठाते हुए कहा कि गुजरात के मतदाता भी अब बिहार के वोटर बन रहे हैं।
पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने कहा कि भाजपा चुनाव आयोग के साथ मिलकर गरीबों के वोट देने का अधिकार छीनने में लगी है। तेजस्वी ने यह भी दावा किया कि गुजरात भाजपा के नेता भीखूभाई भी अब पटना के वोटर बन चुके हैं। हालाँकि, उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने गुजरात में अपने नाम को मतदाता सूची से कटवा लिया है।
उन्होंने आगे मुजफ्फरपुर की मेयर निर्मला देवी पर भी आरोप लगाते हुए कहा कि उनके पास एक ही विधानसभा में दो ईपिक कार्ड हैं। तेजस्वी का कहना है कि सिर्फ निर्मला देवी ही नहीं, बल्कि उनके रिश्तेदारों के पास भी दो-दो ईपिक नंबर हैं। उन्होंने निर्मला देवी की उम्र में भी अंतर की ओर इशारा किया। इससे यह स्पष्ट होता है कि पुनरीक्षण कार्य कितनी गंभीरता से किया जा रहा है।
तेजस्वी यादव ने भाजपा नेता और उप मुख्यमंत्री विजय सिन्हा पर भी निशाना साधते हुए कहा कि यदि विजय सिन्हा ने खुलासा नहीं किया होता, तो उनका नाम मतदाता सूची से नहीं कटता। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि विजय सिन्हा ने दो जिलों, पटना और लखीसराय में अपराध किया है, तो केवल एक जिले से नोटिस क्यों आया? भाजपा के लोग अपने अस्तित्व को बचाने के लिए हर लड़ाई लड़ रहे हैं।
तेजस्वी ने कहा कि विपक्ष लगातार चुनाव आयोग की कमजोरियों और अपनी चिंताओं को उजागर कर रहा है, लेकिन चुनाव आयोग ने अभी तक एक भी प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं की। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि बिहार लोकतंत्र की जननी है और हम यहाँ लोकतंत्र को मरने नहीं देंगे।