क्या त्रिपुरा में अवैध प्रवासियों की पहचान के लिए 23 अक्टूबर को राज्यव्यापी बंदी होगी?

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क्या त्रिपुरा में अवैध प्रवासियों की पहचान के लिए 23 अक्टूबर को राज्यव्यापी बंदी होगी?

सारांश

त्रिपुरा के विधायक रंजीत देबबर्मा के नेतृत्व में नागरिक समाज ने अवैध प्रवासियों की पहचान के लिए 23 अक्टूबर को राज्यव्यापी बंद का आह्वान किया है। यह बंद मूल निवासियों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए उठाया गया कदम है। जानें इस आंदोलन के पीछे की वजहें और इसके संभावित प्रभाव।

Key Takeaways

  • 23 अक्टूबर को राज्यव्यापी बंद का आह्वान किया गया है।
  • मुख्य मांगों में अवैध प्रवासियों की पहचान और निर्वासन शामिल हैं।
  • राज्य सरकार पर ठोस कार्रवाई न करने का आरोप लगा है।
  • तिप्रासा समझौते के कार्यान्वयन में देरी पर चिंता।
  • यदि मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो आंदोलन तेज होगा।

अगरतला, 10 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। सत्तारूढ़ टिपरा मोथा पार्टी के विधायक रंजीत देबबर्मा के नेतृत्व में त्रिपुरा के नागरिक समाज ने आठ प्रमुख मांगों को लेकर 23 अक्टूबर को 24 घंटे के लिए राज्यव्यापी बंद का ऐलान किया है। इन मांगों में केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) के निर्देशों के अनुसार अवैध विदेशी प्रवासियों की पहचान और निर्वासन प्रमुख है। यह आह्वान त्रिपुरा के मूल निवासियों की सुरक्षा, सांस्कृतिक अधिकारों और पहचान की रक्षा के लिए किया गया है।

एमएलए हॉस्टल में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में विधायक देबबर्मा ने कहा कि बंद पहले 13 अक्टूबर को निर्धारित था, लेकिन दिवाली त्योहार के दौरान असुविधा न हो, इसलिए इसे 10 दिन आगे बढ़ा दिया गया। उन्होंने तिप्रासा समझौते के कार्यान्वयन में देरी पर चिंता जताई और कहा कि हालिया विधानसभा सत्र में मुख्यमंत्री डॉ. माणिक साहा के स्पष्टीकरण से वे संतुष्ट नहीं हैं।

देबबर्मा ने आरोप लगाया कि गृह मंत्रालय के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद राज्य सरकार अवैध प्रवासियों की पहचान और निर्वासन पर ठोस कार्रवाई नहीं कर रही। "असम ने इस दिशा में सख्त कदम उठाए हैं, लेकिन त्रिपुरा में अनदेखी हो रही है, जिसका नुकसान मूल निवासियों को हो रहा है।"

कई मांगे शामिल हैं, जिनमें गृह मंत्रालय के निर्देशानुसार अवैध प्रवासियों की पहचान, जिला निरोध केंद्रों की स्थापना, घुसपैठ रोकने के लिए बीएसएफ-असम राइफल्स की विशेष टास्क फोर्स (एसटीएफ) का गठन, त्रिपुरा में इनर लाइन परमिट (आईएलपी) लागू करना, तिप्रासा समझौते का पूर्ण कार्यान्वयन, कोकबोरोक भाषा के लिए रोमन लिपि को मान्यता, फर्जी एससी/एसटी प्रमाणपत्रों का रद्दीकरण और 2024 के त्रिपक्षीय समझौते (एटीटीएफ व एनएलएफटी के साथ) का अमल प्रमुख है।

देबबर्मा ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने इन मांगों पर ध्यान न दिया, तो 23 अक्टूबर के बंद के बाद लोकतांत्रिक आंदोलन और तेज होंगे।

यह आह्वान त्रिपुरा में अवैध प्रवासन की बढ़ती समस्या के बीच आया है। हालिया आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2024 से फरवरी 2025 तक त्रिपुरा पुलिस ने 816 बांग्लादेशी नागरिकों, 79 रोहिंग्या और दो नाइजीरियाई अवैध प्रवासियों को गिरफ्तार किया।

Point of View

ताकि सभी समुदायों के अधिकारों और सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके।
NationPress
10/10/2025

Frequently Asked Questions

त्रिपुरा में राज्यव्यापी बंद का कारण क्या है?
राज्यव्यापी बंद का मुख्य कारण अवैध प्रवासियों की पहचान और निर्वासन है।
बंद कब रखा गया है?
बंद 23 अक्टूबर को 24 घंटे के लिए रखा गया है।
क्या सरकार ने मांगों पर ध्यान दिया है?
विधायक रंजीत देबबर्मा के अनुसार, सरकार ने अभी तक मांगों पर ठोस कार्रवाई नहीं की है।