क्या स्पेन का रक्षा खर्च बढ़ाने में विफलता के कारण उसे नाटो से निकाल देना चाहिए? : ट्रंप

सारांश
Key Takeaways
- स्पेन को अपने रक्षा खर्च को बढ़ाने के लिए दबाव का सामना करना पड़ रहा है।
- ट्रंप ने स्पष्ट किया है कि नाटो में अमेरिका की भागीदारी बनाए रखने के लिए यह महत्वपूर्ण है।
- नाटो के अन्य सदस्यों ने भी रक्षा खर्च में वृद्धि का वादा किया है।
- स्पेन का रक्षा खर्च नाटो में सबसे कम है।
- पेड्रो सांचेज़ ने ट्रंप के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है।
वाशिंगटन, 10 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि यदि स्पेन अपने रक्षा खर्च को बढ़ाने में असफल रहता है, तो उसे नाटो से बाहर कर देना चाहिए।
ट्रंप ने व्हाइट हाउस में फिनलैंड के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर स्टब के साथ बैठक के दौरान पत्रकारों से कहा, “स्पेन के पास अब कोई बहाना नहीं है। वह पिछड़ गया है... सच कहूं तो शायद इसे नाटो से निकाल देना चाहिए।”
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप के दबाव में, नाटो के सदस्य देशों ने जून में 2035 तक अपने सैन्य खर्च को सकल घरेलू उत्पाद के 5 प्रतिशत तक बढ़ाने पर सहमति जताई थी।
स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज़ ने इस लक्ष्य को अस्वीकार करते हुए इसे “हमारे कल्याणकारी राज्य और हमारी वैश्विक दृष्टि के साथ असंगत” बताया।
हालांकि, सांचेज ने यह स्पष्ट किया कि स्पेन को इस लक्ष्य तक पहुंचने की आवश्यकता नहीं है।
रक्षा खर्च के मामले में स्पेन पहले से ही नाटो देशों में सबसे कम खर्च करने वाले देशों में से एक है।
पिछले जून में 32 सदस्यीय नाटो समूह ने अगले दस वर्षों में रक्षा बजट में बड़े बढ़ोतरी का वादा किया था। यह निर्णय ट्रंप के दबाव में लिया गया था, जिन्होंने चेतावनी दी थी कि यदि स्पेन ने इसका विरोध किया तो उस पर व्यापारिक प्रभाव पड़ सकता है।
ट्रंप ने नाटो देशों से यह वादा करवाया कि वे अपने देश की कुल आय (जीडीपी) का पांच प्रतिशत सुरक्षा पर खर्च करें। इसे नाटो में अमेरिका की भागीदारी बनाए रखने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।