क्या बिहार में एनडीए की जीत ने सिकंदर की जीत के रहस्य को उजागर किया?
सारांश
Key Takeaways
- उद्धव ठाकरे का एनडीए पर सवाल उठाना महत्वपूर्ण है।
- बिहार में चुनाव आयोग की पारदर्शिता की आवश्यकता है।
- महिला रोजगार योजना ने चुनाव परिणामों में भूमिका निभाई।
- लोकतंत्र में विजेता को बधाई दी जानी चाहिए।
- चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठाना जरूरी है।
मुंबई, 16 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बिहार विधानसभा चुनाव के परिणामों के बाद कई महत्वपूर्ण प्रश्न उठाए हैं। एनडीए को निशाना बनाते हुए उन्होंने कहा कि बिहार में सरकार उसी की बनती है, जिसकी सभा में सबसे ज्यादा खाली सीटें होती हैं।
उद्धव ठाकरे ने बिहार चुनाव के संदर्भ में कहा, "लोकतंत्र में विजेता को विजेता माना जाता है और उन्हें बधाई दी जानी चाहिए। हम नीतीश कुमार को भी उनकी जीत के लिए बधाई देते हैं। मुख्यमंत्री (देवेंद्र फडणवीस) ने कहा था कि जो जीता वही सिकंदर, लेकिन सिकंदर बनने का रहस्य आज तक कोई नहीं समझ पाया है।"
उन्होंने आगे कहा, "एक बात मुझे आश्चर्यचकित करती है कि प्रचार के दौरान तेजस्वी यादव की सभाओं को मिली भारी प्रतिक्रिया असली थी या वे एआई द्वारा बनाए गए लोग थे? यह अब समझ से परे हो गया है। जिनकी सभाओं में सबसे ज्यादा कुर्सियां भरी रहती हैं, उनकी सरकार नहीं बनती, बल्कि जिनकी सभाओं में सबसे ज्यादा खाली सीटें होती हैं, उनकी सरकार बनती है, जो लोकतंत्र में समझ से परे है।"
उद्धव ठाकरे ने चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा, "बिहार के लोग देशभर में सवाल पूछ रहे हैं कि महाराष्ट्र में जो कुछ हुआ, वही अब बिहार में क्यों हो रहा है? चुनाव पर सवाल उठ रहे हैं, लेकिन किसी के पास कोई जवाब नहीं है।"
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए चुनाव आयोग को पारदर्शी और स्पष्ट जवाब देना होगा।
बिहार में एनडीए की जीत में एक महत्वपूर्ण कारक मानी जाने वाली मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना पर उद्धव ठाकरे ने कहा, "यह भी एक फैक्टर हो सकता है, इससे फर्क पड़ा होगा। लेकिन जो लोग रोजाना पीड़ा भुगत रहे हैं, उनके मन में इतनी आसानी से बदलाव नहीं आता।"
मुख्यमंत्री के चेहरों को लेकर एनडीए की अस्पष्टता पर उद्धव ठाकरे ने कहा, "ये लोग चुनाव में मुख्यमंत्री का चेहरा तक स्पष्ट नहीं बता पाए। बिहार में भी यही तरीका अपनाया गया। इतना समय क्यों लगाया गया, यह भी उन्हें साफ-साफ बताना चाहिए।"