भारत की सूचीबद्ध प्राइवेट सेक्टर कंपनियों ने वित्त वर्ष 2025 के दौरान 7.2 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि क्यों की?

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भारत की सूचीबद्ध प्राइवेट सेक्टर कंपनियों ने वित्त वर्ष 2025 के दौरान 7.2 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि क्यों की?

सारांश

जानिए कैसे भारत की सूचीबद्ध निजी क्षेत्र की कंपनियों ने वित्त वर्ष 2025 में 7.2 प्रतिशत की शानदार वृद्धि दर्ज की। क्या हैं इसके पीछे के कारण और क्या है भविष्य की संभावनाएँ?

Key Takeaways

  • भारत की निजी कंपनियों ने 7.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की।
  • मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों की बिक्री में 6.0 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
  • आईटी कंपनियों की बिक्री 7.1 प्रतिशत बढ़ी।
  • पेट्रोलियम उद्योगों ने बिक्री में कमी दर्ज की।
  • कंपनियों की इंटरेस्ट कवरेज रेश्यो में सुधार हुआ।

मुंबई, 28 जून (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा जारी किए गए हालिया आंकड़ों के अनुसार, भारत की सूचीबद्ध निजी क्षेत्र की गैर-वित्तीय कंपनियों ने वित्त वर्ष 2025 में 7.2 प्रतिशत की शानदार वृद्धि दर्ज की। पिछले वर्ष यह 4.7 प्रतिशत थी।

आरबीआई के एक बयान में कहा गया है कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की कंपनियों की बिक्री में वित्त वर्ष 2025 में 6.0 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि पिछले वर्ष यह 3.5 प्रतिशत थी। इसमें ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रिकल मशीनरी, खाद्य और पेय पदार्थ तथा दवा उद्योग का योगदान सबसे अधिक रहा।

हालांकि, पेट्रोलियम, लोहा और इस्पात उद्योगों ने वित्त वर्ष 2025 में कीमतों में उतार-चढ़ाव और अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांग में कमी के कारण अपनी बिक्री में कमी आई।

वैश्विक चुनौतियों के बावजूद, आईटी कंपनियों की बिक्री वृद्धि पिछले वर्ष के 5.5 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2025 में 7.1 प्रतिशत हो गई।

दूरसंचार, परिवहन और भंडारण सेवाओं के अलावा थोक और खुदरा व्यापार उद्योगों के मजबूत प्रदर्शन के कारण, गैर-आईटी सेवा कंपनियों ने 2024-25 के दौरान दोहरे अंकों की बिक्री वृद्धि दर्ज की।

आरबीआई का विश्लेषण 3,902 सूचीबद्ध गैर-सरकारी गैर-वित्तीय कंपनियों के वित्तीय विवरणों पर आधारित है।

आरबीआई ने कहा कि बिक्री में तेजी के अनुक्रम में मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के लिए कच्चे माल पर खर्च वित्त वर्ष 2025 में 6.6 प्रतिशत बढ़ा। रॉ-मटीरियल-टू-सेल्स रेश्यो वित्त वर्ष 2025 में बढ़कर 55.7 प्रतिशत हो गया, जो एक वर्ष पहले 54.2 प्रतिशत था।

मैन्युफैक्चरिंग, आईटी और गैर-आईटी सेवा कंपनियों के लिए वित्त वर्ष 2025 में कर्मचारियों की लागत में क्रमशः 10 प्रतिशत, 4.4 प्रतिशत और 12.0 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के लिए कर्मचारियों की स्टाफ कॉस्ट-टू-सेल्स रेश्यो स्थिर रहा, जबकि सेवा कंपनियों के लिए यह कम हुआ।

हालांकि, इनपुट लागत में वृद्धि के कारण, मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों की परिचालन लाभ वृद्धि 2024-25 के दौरान पिछले वर्ष के 12.4 प्रतिशत से घटकर 6 प्रतिशत रह गई।

गैर-आईटी सेवा कंपनियों के लिए 2024-25 में लाभ वृद्धि घटकर 15.9 प्रतिशत रह गई, जबकि आईटी कंपनियों के लिए यह बढ़कर 6.1 प्रतिशत हो गई।

मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के मामले में 2024-25 के दौरान परिचालन लाभ मार्जिन 20 आधार अंकों (बीपीएस) से घटकर 14.2 प्रतिशत हो गया, जबकि आईटी कंपनियों के लिए यह 80 बीपीएस घटकर 21.9 प्रतिशत रह गया।

हालांकि, कंपनियों ने इंटरेस्ट कवरेज रेश्यो के साथ मजबूत वित्तीय स्थिति को दर्शाया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 2024-25 के दौरान प्रमुख क्षेत्रों में डेट सर्विसिंग क्षमता को दर्शाता है।

Point of View

कुछ उद्योगों को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। विस्तृत विश्लेषण से यह स्पष्ट होता है कि हमें सतत विकास की दिशा में कदम बढ़ाने की आवश्यकता है।
NationPress
04/08/2025

Frequently Asked Questions

भारतीय कंपनियों की बिक्री में वृद्धि का मुख्य कारण क्या है?
विभिन्न उद्योगों, विशेषकर मैन्युफैक्चरिंग और आईटी में सुधार और वृद्धि के कारण बिक्री में वृद्धि हुई है।
क्या सभी उद्योगों ने वृद्धि दर्ज की?
नहीं, पेट्रोलियम और इस्पात उद्योगों ने बिक्री में कमी दर्ज की है।
क्या आईटी कंपनियों ने भी अच्छा प्रदर्शन किया?
हाँ, आईटी कंपनियों की बिक्री में वृद्धि हुई है, जो पिछले वर्ष के मुकाबले बेहतर है।