क्या बिहार चुनाव के परिणाम ने अखिलेश यादव का मानसिक संतुलन बिगाड़ दिया?
सारांश
Key Takeaways
- बिहार चुनाव ने अखिलेश यादव की राजनीतिक स्थिति को प्रभावित किया है।
- उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने एसआईआर को बेवजह का मुद्दा बताया।
- राजनीति में गुंडों की भूमिका समाप्त हो चुकी है।
- भर्ती में आरक्षण का पालन होगा।
- कोडीन कफ सिरप मामले में कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
लखनऊ, 20 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने एसआईआर के मुद्दे पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पर तीखा हमला किया है। उनका कहना है कि बिहार विधानसभा चुनाव में विपक्ष की हार के कारण उनका मानसिक संतुलन बिगड़ गया है।
समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव निरंतर एसआईआर को लेकर सरकार और चुनाव आयोग पर सवाल उठा रहे हैं। हाल ही के एक सोशल मीडिया पोस्ट में भी उन्होंने इस मुद्दे पर प्रश्न उठाए हैं।
लखनऊ में राष्ट्र प्रेस से बातचीत में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि एसआईआर को बेवजह का मुद्दा बना कर सपा के मुखिया ने बिहार चुनाव में विपक्ष की स्थिति देखकर अपना मानसिक संतुलन खो दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि जब से वोटर लिस्ट रिवीजन कैंपेन शुरू हुआ है, तब से अखिलेश यादव ऐसे बयानों का सहारा ले रहे हैं जो उनके पूर्व बयानों से मेल नहीं खाते।
केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, "यदि उनके पास कार्यकर्ता हैं, तो उन्हें बूथ पर काम करने की आवश्यकता है। यदि कार्यकर्ता नहीं हैं, तो गुंडों के बल पर राजनीति नहीं चली सकती। बूथ लूटकर चुनाव जीतने का समय अब समाप्त हो चुका है।"
उन्होंने लेखपाल भर्ती के संबंध में कहा कि भर्ती में आरक्षण का पूरी तरह से पालन किया जाएगा। अखिलेश यादव के कार्यकाल के दौरान ओबीसी के नाम पर अपनी जाति को बढ़ाने का अवसर मिलता था, जबकि हमारी सरकार में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण की सीमा है। यदि कोई कटौती करेगा तो उसके खिलाफ ठोस कार्रवाई की जाएगी। संबंधित अधिकारियों को मैंने इस संबंध में निर्देशित किया है। अखिलेश यादव को पहले अपने कार्यकाल पर ध्यान देना चाहिए।
कोडीन कफ सिरप मामले में केशव प्रसाद मौर्य ने स्पष्ट किया कि इसकी जांच एसआईटी, पुलिस और ईडी द्वारा की जा रही है। नशे के लिए सिरप का उपयोग करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। अखिलेश यादव को उस वायरल फोटो का भी जवाब देना चाहिए जो उनके साथ है।