क्या प्रमुख यूनियन की हड़ताल से पूरे भारत में बैंकिंग सेवाएं बाधित होंगी?

सारांश
Key Takeaways
- 9 जुलाई को 25 करोड़ कर्मचारियों की हड़ताल होगी।
- बैंकिंग सेवाएं प्रभावित होने की संभावना है।
- सरकार की नीतियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहा है।
- श्रमिकों की मुख्य मांगें बेरोजगारी समाप्त करना है।
- हड़ताल का समर्थन कई यूनियनों द्वारा किया जा रहा है।
नई दिल्ली, 8 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। पब्लिक सर्विस सेक्टर जैसे कि बैंकिंग, इंश्योरेंस, पोस्टल और कंस्ट्रक्शन क्षेत्रों में कार्यरत 25 करोड़ से अधिक कर्मचारियों ने 9 जुलाई को भारत बंद का आह्वान किया है।
इन क्षेत्रों के कर्मचारी राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर जाने की योजना बना रहे हैं। इस हड़ताल के कारण देश की कई सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं। 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों का एक मंच इस हड़ताल की घोषणा कर चुका है।
बैंक ऑफ बड़ौदा ने एक्सचेंज फाइलिंग में बताया कि बुधवार को पूरे भारत में बैंकिंग सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं, क्योंकि प्रमुख बैंक यूनियनें इस राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल में भाग लेने के लिए तैयार हैं।
एक्सचेंज फाइलिंग में कहा गया है कि सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक यह चेतावनी देता है कि यदि हड़ताल होती है, तो भले ही बैंक सामान्य परिचालन बनाए रखने का प्रयास करे, इसकी शाखाओं और कार्यालयों के संचालन पर असर पड़ सकता है। हड़ताल का नोटिस ऑल इंडिया बैंक एम्प्लॉईज एसोसिएशन (एआईबीईए), ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन (एआईबीओए) और बैंक एम्प्लॉई फेडरेशन ऑफ इंडिया (बीईएफआई) के महासचिवों द्वारा दिया गया है, जिन्होंने भारतीय बैंक संघ को सूचित किया कि उनके सदस्य विरोध प्रदर्शन में शामिल होंगे।
कई मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि हड़ताल का आह्वान करने वाली यूनियनें सरकार की कॉर्पोरेट समर्थक नीतियों, हाल के श्रम कानून सुधारों और सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों के निजीकरण के खिलाफ विरोध कर रही हैं।
श्रमिकों की मुख्य मांग है कि सरकार को बेरोजगारी समाप्त करने के लिए तुरंत कदम उठाने चाहिए। इसमें रिक्त स्वीकृत पदों को भरना, अधिक रोजगार के अवसर पैदा करना, मनरेगा कार्यदिवसों को बढ़ाना और वेतन में वृद्धि जैसी मांगें शामिल हैं। ट्रेड यूनियन का सुझाव है कि शहरी क्षेत्रों के लिए भी मनरेगा जैसी योजनाएं लाई जाएं।
श्रमिकों की मांग है कि सरकार रोजगार से संबंधित प्रोत्साहन योजना को भी संबोधित करे। यह हड़ताल पहले मई के लिए निर्धारित थी, लेकिन राष्ट्रीय घटनाओं के कारण इसे आगे बढ़ा दिया गया है।