क्या यूनुस से नोबेल शांति पुरस्कार वापस लेना चाहिए?

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क्या यूनुस से नोबेल शांति पुरस्कार वापस लेना चाहिए?

सारांश

बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस की आलोचना करते हुए पूर्व डीजीपी शेष पॉल वैद ने नोबेल पुरस्कार वापस लेने की मांग की है। उन्होंने बांग्लादेश की बिगड़ती स्थिति के बारे में गंभीर चिंताएं व्यक्त की हैं। क्या यह सच में आवश्यक है?

Key Takeaways

  • बांग्लादेश की स्थिति में तेजी से गिरावट आ रही है।
  • नोबेल पुरस्कार समिति को अपने निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए।
  • अल्पसंख्यकों के खिलाफ बड़े पैमाने पर अत्याचार हो रहे हैं।
  • भारत को अपने विदेशी नीति पर ध्यान देना चाहिए।
  • बांग्लादेश की आर्थिक स्थिति गंभीर है।

जम्मू, 19 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। जम्मू कश्मीर के पूर्व डीजीपी शेष पॉल वैद ने बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि उनसे नोबेल पुरस्कार वापस ले लेना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि नोबेल पुरस्कार समिति ने अपने आप को कलंकित कर लिया है।

पूर्व डीजीपी शेष पॉल वैद ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत के दौरान कहा कि सीरिया और पाकिस्तान जैसे हालात बांग्लादेश में भी उत्पन्न हो सकते हैं। जिस प्रकार से अल्पसंख्यकों को परेशान किया जा रहा है, वहां के मौजूदा मुखिया को सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। जब से वहां तख्तापलट हुआ है, तब से बांग्लादेश की स्थिति बिगड़ गई है।

उन्होंने कहा कि बांग्लादेश पहले आगे बढ़ रहा था, आर्थिक सुधार हो रहा था और लोगों को रोजगार मिल रहा था, लेकिन अब केवल जिहाद देखने को मिल रहा है। निवेशक नहीं आ रहे हैं, फैक्ट्रियां बंद हो चुकी हैं, बांग्लादेश उस रास्ते पर है, जो केवल बर्बादी की ओर ले जाएगा। बांग्लादेश जल्द ही सीरिया और पाकिस्तान बनने वाला है।

पूर्व डीजीपी ने कहा कि बांग्लादेश के बर्बाद होने के बाद सबसे ज्यादा गरीब लोग प्रभावित होंगे। कल ही एक अल्पसंख्यक युवक को भीड़ ने मारा और उसे जिंदा जला दिया। ऐसी घटनाएं यह दर्शाती हैं कि बांग्लादेश किस दिशा में जा रहा है। उन्हें यह समझना चाहिए कि इससे केवल बेगुनाहों की जान जाएगी और कुछ नहीं हासिल होगा।

शेष पॉल वैद ने कहा कि डीप स्टेट ने मोहम्मद यूनुस को नियुक्त किया और जब तख्तापलट हुआ तो उन्हें स्थापित कर दिया गया। यदि इससे बांग्लादेश और वहां के लोगों में सुधार होता तो ठीक था, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। ऐसे व्यक्ति को नोबेल पुरस्कार देखकर उन्होंने अपनी गरिमा को गिरा दिया है क्योंकि आम नागरिक भी सुरक्षित नहीं है और केवल बर्बादी हो रही है। नोबेल पुरस्कार वापस ले लिया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि एक समय था जब बांग्लादेश हमारा प्रिय मित्र हुआ करता था, इसमें कोई संदेह नहीं है। हम तो उसे अपना मानते थे, लेकिन मोहम्मद यूनुस के बाद जिस प्रकार की गतिविधियां हो रही हैं, अब भारत को अपने निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए। अब बांग्लादेश को मित्र देश नहीं माना जा सकता, यह पाकिस्तान से भी खराब स्थिति में जा रहा है।

उन्होंने यह भी कहा कि यहां लोगों की एंट्री बिना किसी शर्त के नहीं होनी चाहिए। वीजा नियमों पर कड़ाई होनी चाहिए। इसके साथ ही वहां के खिलाड़ियों को भी आईपीएल में रखने के बारे में सोचना चाहिए। यह देखना चाहिए कि यह पैसा कहां और किसलिए खर्च हो रहा है।

Point of View

यह स्पष्ट है कि बांग्लादेश की स्थिति गंभीर है और इसे ध्यान में रखते हुए भारत को अपने संबंधों पर विचार करना चाहिए। यह समय है जब हमें अपनी सुरक्षा और हितों को प्राथमिकता देनी चाहिए।
NationPress
19/12/2025

Frequently Asked Questions

क्या बांग्लादेश की स्थिति सच में गंभीर है?
हाँ, पूर्व डीजीपी शेष पॉल वैद के अनुसार, बांग्लादेश की स्थिति चिंताजनक है और वहां के अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हो रहे हैं।
क्या नोबेल पुरस्कार वापस लिया जा सकता है?
हां, यदि पुरस्कार समिति को लगता है कि पुरस्कार पाने वाला व्यक्ति इसके मानदंडों पर खरा नहीं उतरता है, तो पुरस्कार वापस लिया जा सकता है।
क्या भारत को बांग्लादेश के साथ अपने संबंधों पर पुनर्विचार करना चाहिए?
जी हाँ, वर्तमान हालात को देखते हुए भारत को अपने रिश्तों पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है।
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