क्या अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया मजबूत हो रहा है?

सारांश
Key Takeaways
- भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले मजबूत हुआ है।
- अमेरिका द्वारा 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ प्रस्तावित किया गया है।
- आगामी अमेरिका-रूस वार्ता का प्रभाव रुपया पर पड़ सकता है।
- भारतीय बाजार मुद्रास्फीति के आंकड़ों का इंतजार कर रहा है।
- टैरिफ लागू होने पर निर्यात पर खतरा हो सकता है।
नई दिल्ली, 11 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर प्रस्तावित 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ के बीच सोमवार को भारतीय रुपया मजबूती के साथ खुला। यह टैरिफ 27 अगस्त से लागू होने वाला है।
15 अगस्त को होने वाली अमेरिका-रूस वार्ता के बाद रूस-यूक्रेन युद्ध समाप्त होने की उम्मीद के साथ, भारतीय रुपया थोड़ी तेजी दिखा सकता है।
विश्लेषकों के मुताबिक, शुक्रवार के 87.66 के मुकाबले, स्थानीय मुद्रा 13 पैसे मजबूत होकर 87.53 पर खुली। तत्काल ट्रेडिंग रेंज 87.25 और 87.80 के बीच रहने की संभावना है।
आज भारतीय रुपया मामूली बढ़त के साथ 87.51 पर खुलने की उम्मीद है, जबकि बाजार अमेरिकी और घरेलू मुद्रास्फीति के आंकड़ों का इंतजार कर रहा है।
भारतीय बाजार का ध्यान 12 और 14 अगस्त को जारी होने वाले घरेलू उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) और थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) मुद्रास्फीति के आंकड़ों पर केंद्रित है।
अगर अतिरिक्त टैरिफ लागू होते हैं, तो निर्यात राजस्व में कमी, पूंजी बहिर्वाह और मुद्रास्फीति के दबाव के कारण शॉर्ट टर्म में भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले कमजोर हो सकता है।
भारत पर अमेरिका के नए शुल्कों से कपड़ा, चमड़ा, और समुद्री खाद्य जैसे क्षेत्रों पर असर पड़ने की आशंका है।
भारत ने इन शुल्कों की तीखी आलोचना करते हुए इन्हें 'अनुचित और अकारण' बताया है।
अमेरिका ने भारत पर 50 प्रतिशत की सबसे कठोर शुल्क दर लागू की है, जबकि चीन पर यह दर 30 प्रतिशत और तुर्की पर 15 प्रतिशत है। तीनों देश रूसी तेल का आयात करते हैं।
सोमवार सुबह एशियाई व्यापार में ब्रेंट तेल की कीमतें 66.25 डॉलर प्रति बैरल तक गिर गईं, जो पिछले सप्ताह की भारी गिरावट को जारी रखती है। ट्रेडर्स को उम्मीद है कि रूस और अमेरिका के बीच आगामी वार्ता से यूक्रेन संघर्ष में कमी आएगी।
चीन ने जुलाई में मुद्रास्फीति के आंकड़े और आर्थिक संकेतक जारी किए, जिससे संकेत मिलता है कि अर्थव्यवस्था में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है।
भारतीय शेयर बाजारों में इस सप्ताह विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की बिकवाली जारी रही, जो उभरते बाजारों में व्यापक जोखिम से बचने का संकेत है। हालांकि, घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) की जारी खरीदारी ने नुकसान को कम करने में मदद की।