क्या सैमसंग हैवी इंडस्ट्रीज ने भारत की स्वान डिफेंस एंड हैवी इंडस्ट्रीज के साथ साझेदारी की?

सारांश
Key Takeaways
- सैमसंग हैवी और स्वान डिफेंस के बीच नई साझेदारी की गई है।
- यह साझेदारी शिपबिल्डिंग और ऑफशोर इंजीनियरिंग में सहयोग को बढ़ावा देगी।
- भारतीय समुद्री उद्योग में 1.82 लाख करोड़ रुपए का निवेश की योजना है।
- सरकार का लक्ष्य भारत को शिपबिल्डिंग में शीर्ष पांच देशों में शामिल करना है।
- पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत एक वर्ल्ड-क्लास समुद्री इकोसिस्टम बनाने की कोशिश कर रहा है।
सोल/नई दिल्ली, 29 सितंबर (राष्ट्र प्रेस) । सैमसंग हैवी इंडस्ट्रीज ने सोमवार को यह जानकारी दी कि कंपनी ने भारत की स्वान डिफेंस एंड हैवी इंडस्ट्रीज के साथ शिपबिल्डिंग और ऑफशोर इंजीनियरिंग में सहयोग के लिए एक नई साझेदारी की है।
योन्हाप समाचार एजेंसी के अनुसार, सैमसंग हैवी ने बताया कि पहले से साइन किए गए समझौता ज्ञापन के तहत, दोनों कंपनियां शिपबिल्डिंग और ऑफशोर प्रोजेक्ट्स की इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट और प्रबंध में सहयोग करेंगी।
स्वान डिफेंस एंड हैवी इंडस्ट्रीज भारत का सबसे बड़ा ड्राई डॉक चलाती है और यह बहुत बड़े क्रूड कैरियर (वीएलसीसी) बनाने की क्षमता रखती है।
सैमसंग हैवी ने कहा कि इसका उद्देश्य अपने व्यवसाय को बढ़ाना है और यह साझेदारी कंपनी को भारत में अपनी स्थिति मजबूत करने में मदद करेगी।
यह समझौता अगस्त में यूएस-बेस्ड विगर मरीन ग्रुप के साथ हुई रणनीतिक साझेदारी के बाद सैमसंग हैवी के वैश्विक नेटवर्क को सशक्त बनाने की दिशा में कदम है।
इस बीच, केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि भारत शिपबिल्डिंग और समुद्री क्षेत्र में लगभग 1.82 लाख करोड़ रुपए का निवेश करने की योजना बना रहा है, जिससे भारत को दुनिया के प्रमुख समुद्री देशों में से एक बनाया जा सकेगा।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि सभी आकार के जहाजों के निर्माण के लिए शिपबिल्डर्स को वित्तीय सहायता दी जाएगी, जिससे देश भविष्य की जरूरतों के लिए तैयार हो सके।
मंत्री सोनोवाल ने कहा कि सरकार का लक्ष्य एक मजबूत इकोसिस्टम बनाकर शिपबिल्डिंग में भारत को दुनिया के शीर्ष पांच देशों में शामिल करना है।
उन्होंने पिछले 11 वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण को शिपिंग को एक महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर स्तंभ बनाने का श्रेय दिया।
पीएम मोदी के नेतृत्व में सरकार भारत में एक वर्ल्ड-क्लास समुद्री इकोसिस्टम बनाने के प्रयास कर रही है, जिससे भारत का शिपबिल्डिंग उद्योग एक बड़े बदलाव से गुजर रहा है।
मैरिटाइम इंडिया विजन 2030 और अमृत काल के दीर्घकालिक रणनीतिक रोडमैप के अनुसार, यूनियन बजट 2025 में भारतीय शिपयार्ड की क्षमता और प्रतिस्पर्धा क्षमता को बढ़ाने के लिए कई सुधारों और निवेश की घोषणा की गई है।