क्या भारत के दक्षिण में स्थित प्रमुख शक्तिपीठ आज भी चमत्कार करते हैं?

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क्या भारत के दक्षिण में स्थित प्रमुख शक्तिपीठ आज भी चमत्कार करते हैं?

सारांश

भारत की संस्कृति में शक्ति की उपासना का विशेष स्थान है। नवरात्रि में 51 शक्तिपीठों के दर्शन करने लाखों श्रद्धालु जुटते हैं। दक्षिण भारत के प्रमुख शक्तिपीठों की यात्रा आपको अद्भुत अनुभव कराएगी। जानिए इन शक्तिपीठों की विशेषताएं और उनके चमत्कार।

Key Takeaways

  • शक्तिपीठों का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है।
  • दक्षिण भारत में कई प्रसिद्ध शक्तिपीठ स्थित हैं।
  • देवी सती के अंगों के गिरने के स्थानों को शक्तिपीठ माना जाता है।
  • नवरात्रि में लाखों श्रद्धालु इन शक्तिपीठों का दर्शन करते हैं।
  • यह स्थान केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि ऐतिहासिक भी हैं।

नई दिल्ली, 29 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परंपरा में शक्ति की उपासना को एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। नवरात्रि के अवसर पर शक्ति के नौ रूपों की विशेष पूजा की जाती है। इस दौरान लाखों श्रद्धालु देशभर में फैले 51 शक्तिपीठों के दर्शन के लिए जाते हैं।

इन शक्तिपीठों में से कई दक्षिण भारत में स्थित हैं, जो अपनी ऐतिहासिकता, मान्यताओं और भव्यता के लिए प्रसिद्ध हैं।

कन्याकुमारी शक्तिपीठ, तमिलनाडु के सुदूर दक्षिण में है, जहां देवी सती की पीठ गिरी थी। यहाँ देवी को श्रावणी के नाम से पूजा जाता है, जबकि शिव को निमिष कहा जाता है। यह शक्तिपीठ एक छोटे से टापू पर है, जो चारों ओर से समुद्र से घिरा हुआ है, जिससे इसका दृश्य अत्यंत मनोहारी होता है। इसे कन्याश्रम या कालिकाश्रम के नाम से भी जाना जाता है।

दूसरा प्रसिद्ध शक्तिपीठ सुचिन्द्रम है, जो तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले में स्थित है। यहाँ देवी सती के ऊपरी दांत गिरने की मान्यता है और देवी को नारायणी रूप में पूजा जाता है। यहां के भैरव को संहार कहा जाता है।

चामुंडेश्वरी शक्तिपीठ, कर्नाटक के मैसूर के निकट चामुंडी पहाड़ी पर स्थित है। यह मंदिर देवी दुर्गा के उग्र रूप चामुंडेश्वरी को समर्पित है। यहाँ विश्वास है कि माता सती के बाल इस स्थान पर गिरे थे। यही वह स्थान है, जहां देवी ने महिषासुर का वध किया था। चामुंडेश्वरी देवी मैसूर के वोडेयार राजवंश की कुलदेवी भी हैं, जिससे यह स्थान धार्मिक और ऐतिहासिक दोनों दृष्टियों से महत्वपूर्ण है।

अंत में विमला शक्तिपीठ, ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में स्थित है, जहां माता सती की नाभि गिरने की मान्यता है। इसी कारण यह स्थान प्रमुख शक्तिपीठ बन गया है। यहाँ देवी को विमला या बिराज देवी के रूप में पूजा जाता है। यह स्थान न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि पुरी के श्रीजगन्नाथ मंदिर के निकट होने के कारण विशेष महत्व भी रखता है, जहां यह देवी जगन्नाथ जी की एक महत्वपूर्ण शक्ति मानी जाती हैं।

Point of View

यह कहना उचित है कि भारत के शक्तिपीठ केवल धार्मिक आस्था के केंद्र नहीं हैं, बल्कि ये संस्कृति और परंपरा का भी प्रतीक हैं। इन स्थलों पर जाकर श्रद्धालु न केवल आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त करते हैं, बल्कि भारतीय संस्कृति के अद्वितीय पहलुओं का अनुभव भी करते हैं।
NationPress
29/09/2025

Frequently Asked Questions

शक्तिपीठ क्या है?
शक्तिपीठ वह स्थान हैं, जहां देवी सती के शरीर के विभिन्न अंग गिरे थे।
कन्याकुमारी शक्तिपीठ की विशेषता क्या है?
यहां देवी सती की पीठ गिरी थी और इसे श्रावणी के रूप में पूजा जाता है।
चामुंडेश्वरी शक्तिपीठ का महत्व क्या है?
यहां देवी ने महिषासुर का वध किया था और यह मैसूर के वोडेयार राजवंश की कुलदेवी है।
विमला शक्तिपीठ किसलिए प्रसिद्ध है?
यहां माता सती की नाभि गिरने की मान्यता है और इसे प्रमुख शक्तिपीठ माना जाता है।
नवरात्रि में शक्तिपीठों की पूजा का महत्व क्या है?
इस दौरान शक्ति के नौ रूपों की पूजा की जाती है, जो शक्ति की उपासना का महत्वपूर्ण अवसर है।