क्या भारतीय परिवारों की वित्तीय संपत्तियां वित्त वर्ष 25 में 6 प्रतिशत बढ़ीं?
सारांश
Key Takeaways
- वित्तीय संपत्तियां 9.9 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गई हैं।
- कर्ज 15.7 लाख करोड़ रुपए तक घट गया है।
- बचत में स्टॉक मार्केट से जुड़े समाधान की हिस्सेदारी बढ़ी है।
- वित्तीय देनदारियां कम हुई हैं।
- बचत का नया प्रवृत्ति उभर रहा है।
नई दिल्ली, 25 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय परिवारों की वित्तीय संपत्तियां वित्त वर्ष 25 में सालाना आधार पर 6 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 9.9 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गई हैं। पिछले वित्त वर्ष 24 में इसकी वृद्धि 5.3 प्रतिशत रही थी। यह महत्वपूर्ण जानकारी मंगलवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा साझा की गई।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक पोस्ट में वित्त मंत्री ने बताया कि भारतीय परिवारों की वित्तीय देनदारियां वित्त वर्ष 25 में घटकर 15.7 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गई हैं।
आरबीआई के नवीनतम डेटा के अनुसार, "देश के परिवारों की कुल वित्तीय संपत्तियों का मूल्य वित्त वर्ष 25 में बढ़कर 9.9 लाख करोड़ रुपए या जीडीपी का 6 प्रतिशत हो गया है, जो वित्त वर्ष 24 में जीडीपी के 5.3 प्रतिशत पर था।"
भारतीय परिवारों की बचत में पिछले दो वर्षों में महत्वपूर्ण बदलाव देखा गया है, जो वित्त वर्ष 23 में जीडीपी के 4.3 प्रतिशत पर पहुंच गया था। यह 1970 के बाद से परिवारों की बचत का सबसे कम स्तर था।
यह परिवर्तन दर्शाता है कि कोरोना महामारी के बाद, भारतीय परिवार तेजी से बचत को प्राथमिकता दे रहे हैं।
दूसरी ओर, भारतीय परिवारों के कर्ज में कमी आ रही है, जो वित्त वर्ष 25 में घटकर 15.7 लाख करोड़ रुपए (जीडीपी का 4.7 प्रतिशत) हो गया है, जबकि वित्त वर्ष 24 में यह 18.8 लाख करोड़ रुपए (जीडीपी का 6.2 प्रतिशत) था।
भारतीय परिवारों के कर्ज में कमी का एक कारण लोन ग्रोथ का धीमा होना है, जो कि सख्त नियमों के कारण वित्त वर्ष 25 में 12 प्रतिशत पर आ गई है, जबकि वित्त वर्ष 24 में यह 16 प्रतिशत थी।
आरबीआई के डेटा में बताया गया कि स्टॉक मार्केट से जुड़े बचत समाधान तेजी से लोगों के बीच लोकप्रिय हो रहे हैं, और परिवारों की बचत में वित्त वर्ष 25 में इनकी हिस्सेदारी 15.1 प्रतिशत हो गई, जो वित्त वर्ष 24 में 8.7 प्रतिशत और वित्त वर्ष 23 में 7.3 प्रतिशत थी।
इसके साथ ही, वित्त वर्ष 25 में बैंक जमा की हिस्सेदारी घटकर 35.2 प्रतिशत रह गई है, क्योंकि लोग धीरे-धीरे कम यील्ड वाले पारंपरिक बचत साधनों से अपना पैसा दूर रखने लगे हैं।