क्या खादी सिर्फ कपड़ा नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता और सतत जीवनशैली का प्रतीक बन गया है?

सारांश
Key Takeaways
- खादी केवल कपड़ा नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता का प्रतीक है।
- खादी ने फैशन की दुनिया में अपनी पहचान बनाई है।
- उत्तर प्रदेश ने खादी को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत किया है।
- योगी आदित्यनाथ की नीतियों से खादी को नई पहचान मिली है।
- युवाओं में टिकाऊ फैशन के प्रति जागरूकता बढ़ रही है।
ग्रेटर नोएडा, 29 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। 'उत्तर प्रदेश इंटरनेशनल ट्रेड शो 2025' में खादी का जादू देखने को मिला। खादी न केवल भारत की सांस्कृतिक विरासत और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है, बल्कि इसने फैशन की दुनिया में अपनी समकालीन पहचान भी बनाई है।
इस भव्य फैशन शो में मॉडल्स ने खादी के परिधान प्रस्तुत किए, जो परंपरागत शिल्प कौशल और आधुनिक डिजाइन का अद्वितीय मिलाजुला स्वरूप थे। इसने साबित किया कि खादी ने 'ट्रेडिशन टू ट्रेंड' की यात्रा सफलतापूर्वक तय कर ली है और अब यह वैश्विक फैशन का अभिन्न हिस्सा बन रही है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार जनता से स्वदेशी अपनाने की अपील कर रहे हैं। खादी भी स्वदेशी वस्त्रों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'वोकल फॉर लोकल' के सिद्धांत को अपनाते हुए, उत्तर प्रदेश ने खादी और हैंडलूम को नया जीवन दिया है। योगी सरकार खादी को केवल एक परिधान मानने के बजाय इसे आत्मनिर्भर भारत और पर्यावरण के अनुकूल जीवनशैली का मजबूत आधार मानती है।
योगी सरकार की 'वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट' (ओडीओपी) योजना और विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना ने हजारों बुनकरों और कारीगरों को सीधा लाभ पहुंचाया है। सरकार का उद्देश्य है कि खादी को स्थानीय से लेकर वैश्विक स्तर तक एक ब्रांड बनाकर उत्तर प्रदेश को 'हैंडलूम हब' के रूप में स्थापित किया जाए।
राज्य में खादी उत्पादों की खपत लगातार बढ़ रही है। युवाओं में टिकाऊ फैशन के प्रति जागरूकता ने खादी को आधुनिक जीवनशैली का अभिन्न हिस्सा बना दिया है। यही कारण है कि अब खादी को 'फैब्रिक ऑफ फ्यूचर' कहा जाने लगा है।
'यूपीआईटीएस 2025' में खादी की प्रस्तुति ने यह स्पष्ट किया कि उत्तर प्रदेश न केवल परंपरा को संजो रहा है, बल्कि भविष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप इसे वैश्विक मंच पर स्थापित कर रहा है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कहना है कि सरकार का प्रयास है कि खादी को केवल एक कपड़े के रूप में नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता, कारीगरी और सतत विकास के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया जाए। उत्तर प्रदेश ने खादी को वैश्विक फैशन जगत में उतारकर यह दिखाया है कि स्थानीय शिल्प और आत्मनिर्भरता से भी अंतरराष्ट्रीय पहचान बनाई जा सकती है।