क्या नई श्रम संहिताओं से पेट्रोलियम श्रमिकों की सुरक्षा और इंश्योरेंस कवरेज में सुधार होगा?
सारांश
Key Takeaways
- नए श्रम संहिताओं से श्रमिकों की सुरक्षा में वृद्धि होगी।
- इंश्योरेंस कवरेज का विस्तार होगा।
- डिजिटल सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य रिकॉर्ड की व्यवस्था होगी।
- खतरनाक कार्यों के लिए हेल्थ चेक-अप अनिवार्य होगा।
- सरकार ने औद्योगिक सुरक्षा को प्राथमिकता दी है।
नई दिल्ली, 1 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। नई श्रम संहिताओं के जरिए पेट्रोलियम क्षेत्र के श्रमिकों को अब पहले से अधिक सुरक्षा मिलेगी और साथ ही इंश्योरेंस कवरेज का भी विस्तार होगा। यह जानकारी सरकार की ओर से सोमवार को साझा की गई।
भारत सरकार ने हाल ही में चार नई श्रम संहिताएं लागू की हैं: व्यवसायगत सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थितियां संहिता, 2020 (ओएसएचडब्ल्यूसी), सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020, औद्योगिक संबंध संहिता, 2020 और वेतन संहिता, 2019।
ये सुधार औद्योगिक प्रतिष्ठानों में सुरक्षा, कार्य स्थितियों और सामाजिक सुरक्षा के लिए एक सुसंगत ढांचा स्थापित करते हैं।
सरकार ने कहा, "इन नई श्रम संहिताओं के कारण, पेट्रोलियम उद्योग अब पुराने, बिखरे हुए कानूनों से बाहर निकलकर एक आधुनिक, प्रौद्योगिकी-आधारित प्रणाली में प्रवेश करेगा जहाँ कानूनों का पालन करना सरल होगा। ये नियम विशेष रूप से तेल और गैस जैसे खतरनाक उद्योगों के लिए बनाए गए हैं, ताकि उत्पादन से लेकर वितरण तक हर चरण में सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।"
व्यवसायगत सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थितियां संहिता, 2020 (ओएसएचडब्ल्यूसी) की शुरुआत से पेट्रोलियम श्रमिकों की सुरक्षा में वृद्धि होगी। इसके अंतर्गत अब स्ट्रक्चर्ड हैजर्ड आइडेंटिफिकेशन और रिस्क असेसमेंट को अनिवार्य कर दिया गया है। इस कारण जोखिम वाले कार्य प्रारंभ करने से पहले सरकारी अनुमोदन प्राप्त करना आवश्यक होगा।
नए नियमों के अंतर्गत अब खतरनाक पेट्रोलियम ऑपरेशनों में लगे सभी श्रमिकों के लिए नौकरी से पहले, समय-समय पर और काम पर लगने के बाद हेल्थ चेक-अप अनिवार्य कर दिया गया है, जिसमें सालाना मुफ्त मेडिकल चेक-अप भी शामिल है। इससे श्रमिकों की सुरक्षा में वृद्धि होगी।
सरकार के अनुसार, नई सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 कल्याणकारी उपायों को अधिक संस्थागत बनाती है। यह पेट्रोलियम कार्यस्थलों तक कर्मचारी राज्य बीमा निगम के कवरेज का विस्तार करती है, जिससे श्रमिकों को चिकित्सा देखभाल, चोट लगने पर मुआवजा, डिसेबलिटी बेनिफिट्स, आश्रितों के लिए लाभ, मातृत्व सुरक्षा, काम से जुड़ी बीमारियों और दुर्घटनाओं के लिए मुआवजा प्राप्त होता है।
इस संहिता के अंतर्गत अब डिजिटल सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य रिकॉर्ड सुनिश्चित करते हैं कि सभी लाभ पोर्टेबल हों। इससे लाभार्थियों को पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ती है, जिससे पूरी प्रक्रिया में स्पष्टता सुनिश्चित होती है।
सरकार ने कहा कि इन प्रावधानों से परिचालन अनुशासन, वर्कफोर्स क्षमता, इमरजेंसी तैयारियों, चिकित्सा निगरानी, नियामक स्पष्टता और समन्वय में वृद्धि होती है। इसका अंतिम परिणाम सुरक्षित परिचालन, स्वस्थ कुशल कार्यबल, उच्च उत्पादकता, कम व्यवधान और मजबूत वैश्विक अनुपालन के रूप में सामने आता है।