क्या दीपावली केवल पार्टियों का त्योहार है? पंकज त्रिपाठी का विचार

सारांश
Key Takeaways
- रोशनी का त्योहार परिवार और समाज के लिए महत्वपूर्ण है।
- त्योहारों का गहरा अर्थ होता है जो एकता लाता है।
- उपहारों की बजाय मुस्कान और शुभकामनाएं अधिक मूल्यवान हैं।
- त्योहारों का मतलब सामाजिक संबंध को मजबूत करना है।
- बाजार के प्रभाव से त्योहारों का असली मतलब न भुलें।
मुंबई, 20 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बॉलीवुड अभिनेता पंकज त्रिपाठी ने दीपावली के अवसर पर राष्ट्र प्रेस को दिए एक विशेष इंटरव्यू में इस त्योहार के गहरे महत्व पर जोर दिया, जो पार्टियों और उपहारों से कहीं अधिक है।
पंकज त्रिपाठी ने कहा, "इस त्योहार का असली अर्थ बहुत गहरा है। यह रोशनी का त्योहार है, जब भगवान राम चंद्र अयोध्या लौटे थे। उस दिन उनका स्वागत करने के लिए यह पर्व मनाया गया। यह रोशनी आपके अंदर के अंधकार को दूर करने की क्षमता रखता है। यह परिवार और समाज की कल्पनाओं को भी बढ़ाता है।"
उन्होंने अपने बचपन के अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि त्योहारों के दौरान पड़ोसियों के घरों से दीये कैसे लाए जाते थे। उन्होंने कहा, "मुझे याद है कि दीपावली पर बाजार में दीये नहीं मिलते थे, इसलिए हमें उन्हें कुम्हार के घर से लाना पड़ता था। यह एक सामाजिक ढांचा था। गांव की अर्थव्यवस्था त्योहारों से चलते थे।"
पंकज ने कहा, "दीपावली पर सभी एक साथ रहना चाहते थे। हमारी संस्कृति में, भारतीय समाज में, परिवारों को मिलकर त्योहार मनाना चाहिए। यह एक महत्वपूर्ण सबक है। झगड़ों से बचना और त्योहार साथ मिलकर मनाना चाहिए।"
उन्होंने यह भी कहा कि, "बाजार ने उपहारों और मिठाइयों के आदान-प्रदान की जिम्मेदारी बढ़ा दी है, लेकिन त्योहार का असली मतलब एक-दूसरे को मुस्कान और शुभकामनाएं देना है।"
उन्होंने इस बात को स्पष्ट किया कि "त्योहार परिवार और समुदाय के प्रति जागरूकता लाते हैं। आपको इसे किसी पार्टी की तरह नहीं मनाना चाहिए।"