क्या बाल दिवस पर ईशा कोप्पिकर ने साझा की अनोखी पैरेंटिंग टिप्स?
सारांश
Key Takeaways
- प्यार और भावनात्मक समझ बच्चों के विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- बच्चों को निर्णय लेने का मौका देना आवश्यक है।
- गलतियों से सीखना और उन्हें स्वीकार करना एक महत्वपूर्ण मूल्य है।
- खुली बातचीत से बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ता है।
- सकारात्मक माहौल में बच्चे सुरक्षित महसूस करते हैं।
मुंबई, 14 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। वर्तमान युग में हर माता-पिता की इच्छा होती है कि उनका बच्चा जीवन में सफलता प्राप्त करे। इसके लिए वे अक्सर सख्त नियम निर्धारित करते हैं और दबाव बनाए रखते हैं। इस पैरेंटिंग शैली पर बॉलीवुड अभिनेत्री ईशा कोप्पिकर ने बच्चों के लिए समर्पित बाल दिवस के मौके पर अपनी विचार साझा की।
उनका कहना है कि आज के समय में बच्चों को प्यार, भावनाओं की समझ और बिना किसी दबाव के खुली बातचीत की आवश्यकता है।
बाल दिवस के अवसर पर राष्ट्र प्रेस से बातचीत में ईशा ने बताया कि वह अपनी बेटी रिआना की परवरिश एक ऐसे वातावरण में कर रही हैं, जहां भरोसा, भावनात्मक समझ और खुलापन प्राथमिकता है। उन्होंने कहा, "मैं उन पुराने तरीकों को नहीं अपनाती, जहां बच्चों पर दबाव डालकर उन्हें निर्धारित रास्तों पर चलने को मजबूर किया जाता है। इसके बजाय, मैं चाहती हूं कि मेरी बेटी धीरे-धीरे खुद निर्णय लेना सीखे और एक मजबूत, दयालु व्यक्ति बने।"
ईशा ने कहा, "मैं रिआना को डर या सख्ती से नहीं संभालती, क्योंकि मेरा मानना है कि जब बच्चे किसी चुनौती का सामना करते हैं, तो उन्हें तुरंत समाधान बताने के बजाय खुद सोचने और समझने का मौका मिलना चाहिए।"
वह कहती हैं, "जब रिआना किसी कठिनाई में होती है, तो मैं पहले उसे अपनी भावनाओं को समझने देती हूं, फिर उसे प्रोत्साहित करती हूं कि वह समस्या का हल खुद खोजे। इस तरीके से बच्चा आत्मनिर्भर बनता है और अपने फैसलों की जिम्मेदारी लेना सीखता है।"
अपने दैनिक रूटीन के बारे में बात करते हुए ईशा ने राष्ट्र प्रेस को बताया कि वह हर रात सोने से पहले अपनी बेटी के साथ दिनभर की गतिविधियों पर चर्चा करती हैं। दोनों मिलकर बात करते हैं कि दिन में क्या अच्छा हुआ, क्या गलत हुआ, और हर अनुभव ने क्या सिखाया।
ईशा ने कहा, "मैं अपनी खुद की गलतियों को भी रिआना से साझा करती हूं ताकि वह समझ सके कि कोई भी व्यक्ति परफेक्ट नहीं होता। असली ताकत इस बात में है कि इंसान अपनी गलतियों को स्वीकार करे, उनसे सीखे और बेहतर बनने की कोशिश करे। यही मूल्य मैं अपनी बेटी में विकसित करना चाहती हूं। मैं चाहती हूं कि रिआना बड़ी होकर खुद को पूरी तरह स्वतंत्र और सुरक्षित महसूस करे। एक बच्चे को यह महसूस होना चाहिए कि वह जैसा है, वैसा ही प्यार और स्वीकार किया जाता है। वह अपने मनचाहे रास्ते पर चले और अपने सपनों को साकार करे, चाहे वे सपने कितने भी अलग क्यों न हों।"