क्या प्रिया तेंदुलकर के सीरियल के कारण टैक्सी ड्राइवरों ने विरोध प्रदर्शन किया?

सारांश
Key Takeaways
- प्रिया तेंदुलकर का अभिनय समाज में जागरूकता फैलाने का साधन बना।
- 'रजनी' ने महिलाओं को अपने हक के लिए लड़ने की प्रेरणा दी।
- मुंबई के टैक्सी ड्राइवरों का विरोध एक महत्वपूर्ण सामाजिक घटना थी।
मुंबई, १८ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय टेलीविजन और नाट्य जगत में एक अद्वितीय पहचान रखने वाली, जिनका अभिनय न केवल मनोरंजन करता था, बल्कि सामाजिक जागरूकता का संदेश भी फैलाता था, वह थीं प्रिया तेंदुलकर. १९ अक्टूबर १९५४ को मुंबई में जन्मी प्रिया एक मराठी ब्राह्मण परिवार में पली-बढ़ी थीं, जहाँ कला और साहित्य का विशेष स्थान था।
उनके पिता, प्रसिद्ध नाटककार विजय तेंदुलकर, ने उन्हें प्रारंभ से ही कला के प्रति प्रेरित किया। प्रिया की दो बहनें—अभिनेत्री सुषमा तेंदुलकर और तनुजा मोहिते—और भाई राजू तेंदुलकर (सिनेमेटोग्राफर) ने इस परिवार की सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाया।
प्रिया का अभिनय सफर मराठी थिएटर से शुरू हुआ। उन्होंने अपने पिता के नाटकों जैसे 'गिद्धाड़े', 'ती फुलराणी', और 'एक हट्टी मुलगी' में अपनी छाप छोड़ी। 1980 के दशक में हिंदी और मराठी सिनेमा में कदम रखा, लेकिन असली पहचान उन्हें छोटे पर्दे पर मिली। 1985 में दूरदर्शन पर प्रसारित 'रजनी' सीरियल ने उन्हें घर-घर में पहचान दिलाई। इस शो में प्रिया ने एक साहसी गृहिणी का किरदार निभाया, जो भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी आवाज उठाती है। इस भूमिका ने महिलाओं को भी अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने की प्रेरणा दी।
प्रिया ने 'युग', 'हम पांच', 'दामिनी', और 'प्रोफेसर प्यारेलाल' जैसे कई अन्य शो में भी प्रदर्शन किया। उनके फिल्मी करियर में 'मोहरा', 'गुप्त: द हिडन ट्रुथ', और 'नाम ओ निशान' जैसी हिट फिल्मों में महत्वपूर्ण भूमिकाएँ थीं। प्रिया केवल एक अभिनेत्री नहीं, बल्कि एक समाजसेवी और लेखिका भी थीं। उन्होंने 'प्रिया तेंदुलकर शो' और 'जिम्मेदार कौन' जैसे टॉक शोज की मेज़बानी की, जहाँ उन्होंने सामाजिक कुरीतियों और महिलाओं के अधिकारों पर खुलकर चर्चा की।
प्रिया तेंदुलकर ने 'रजनी' में जो किरदार निभाया, वह केवल मनोरंजन का साधन नहीं था, बल्कि यह आम आदमी के लिए भ्रष्टाचार और अन्याय के खिलाफ एक आवाज थी। इस धारावाहिक का इतना प्रभाव पड़ा कि एक बार, एक एपिसोड में दिखाया गया कि मुंबई के टैक्सी ड्राइवर विरोध प्रदर्शन करने लगे।
इस बात का उल्लेख रजनी के कई इंटरव्यू में किया गया है। उस समय जब उपभोक्ता अधिकार आंदोलन अपने प्रारंभिक चरण में था, 'रजनी' ने आम लोगों को अपने हक के लिए लड़ना सिखाया। सीरियल का एक विवादित एपिसोड मुंबई के टैक्सी ड्राइवरों की अनुचित हरकतों पर केंद्रित था। इस एपिसोड में दिखाया गया कि कैसे टैक्सी ड्राइवर यात्रियों के साथ दुर्व्यवहार करते हैं। प्रिया का किरदार इस समस्या के खिलाफ आवाज उठाता है। निर्माता सोच रहे थे कि यह एपिसोड दर्शकों को जागरूक करेगा, लेकिन प्रतिक्रिया अपेक्षा से परे थी।
प्रदर्शन में लगभग 500 से अधिक टैक्सी ड्राइवरों ने मुंबई में अपनी सेवाएं बंद कर दी। ड्राइवर सीधे दूरदर्शन के कार्यालय पहुंचे और जोरदार विरोध किया। उनकी मुख्य मांग थी कि सीरियल में उनके पेशे का गलत चित्रण करने के लिए सार्वजनिक माफी मांगी जाए।
ड्राइवरों का गुस्सा इस बात का प्रमाण था कि प्रिया ने 'रजनी' के किरदार को कितनी प्रामाणिकता से निभाया। दर्शकों के लिए रजनी की लड़ाई उनकी अपनी लड़ाई बन गई थी। यह अद्वितीय घटना इतनी चर्चित हुई कि यह राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गई। हर कोई बात कर रहा था कि कैसे एक टीवी सीरियल ने हजारों लोगों को सड़क पर ला दिया। इस घटना को प्रसिद्ध अमूल विज्ञापन ने भी अपने होर्डिंग पर जगह दी, जिससे यह किस्सा भारतीय पॉप कल्चर के इतिहास में अमर हो गया। 'रजनी' ने न केवल मनोरंजन किया, बल्कि यह दिखाया कि टेलीविजन सामाजिक परिवर्तन में कितनी बड़ी भूमिका निभा सकता है। प्रिया तेंदुलकर के लिए यह उनके अभिनय की सबसे बड़ी जीत थी—एक जीत जिसने साबित कर दिया कि वह केवल एक अभिनेत्री नहीं, बल्कि आम जनता की आवाज थीं।
१९ सितंबर २००२ को ४७ वर्ष की आयु में प्रिया का निधन हो गया। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया।