क्या काजोल ने मां के किरदारों में बदलाव पर सही कहा?

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क्या काजोल ने मां के किरदारों में बदलाव पर सही कहा?

Key Takeaways

  • काजोल ने मां के किरदारों में बदलाव पर जोर दिया है।
  • सिनेमा में मां की छवि समाज के साथ बदल रही है।
  • मां की मजबूती और कोमलता दोनों को मान्यता मिलनी चाहिए।
  • महिलाओं को अपनी कमियों को स्वीकार करने की जरूरत है।
  • सिनेमा को मां की छवि को और मानवीय बनाना होगा।

मुंबई, ८ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। अभिनेत्री काजोल अपनी हालिया रिलीज फिल्म 'मां' में दमदार भूमिका में नजर आईं। उन्होंने बॉलीवुड में मां की छवि के बदलाव पर खुलकर बात की। उनका मानना है कि सिनेमा में मां के किरदार समाज के साथ-साथ बदले हैं।

उन्होंने बताया कि पहले निरूपा रॉय और नरगिस जैसे किरदारों से लेकर अब उनकी फिल्म 'मां' तक, मां के किरदारों को अब मजबूत और कमजोर दोनों रूपों में दिखाया जा रहा है।

समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बात करते हुए काजोल ने कहा, "बॉलीवुड की मांएं समाज के साथ आगे बढ़ी हैं। आज हम जिस नजरिए से मां को देखते हैं, वही सिनेमा में भी दिखता है। मांएं हमेशा से मजबूत रही हैं। 'मदर इंडिया' जैसी फिल्में बहुत पहले बन चुकी थीं, जब हम 'मां' जैसी फिल्म के बारे में सोच भी नहीं सकते थे।"

काजोल ने कहा कि मांएं न केवल मजबूत होती हैं, बल्कि उनकी कोमलता और नारीत्व भी उतना ही महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा, "पहले भी मांएं मजबूत थीं, लेकिन अब एक ऐसी मां को स्वीकार किया जा रहा है जो गलतियां भी कर सकती है। वह सुपरवुमन है, लेकिन साथ ही कोमल और नारीवादी भी।"

क्या सिनेमा में मांएं थोड़ी स्वार्थी, उग्र और कमजोर दिखाई जा सकती हैं? इस सवाल पर काजोल ने कहा कि बदलाव तब शुरू होता है जब महिलाएं खुद को और दूसरों को उनकी कमियों के साथ स्वीकार करती हैं। उन्होंने बताया, "यह इस बात पर निर्भर करता है कि हम महिलाएं एक-दूसरे को कैसे देखती हैं। क्या हम खुद को और दूसरों को छोटी-छोटी कमियों के लिए माफ करते हैं? 'कमी' का मतलब क्या है? अगर आप काम पर गईं, तो क्या यह कमी है? या अगर आप अपने बच्चे का स्कूल प्ले नहीं देख पाईं क्योंकि आप काम कर रही थीं, तो क्या यह आपको कमजोर बनाता है?"

काजोल का मानना है कि सिनेमा और समाज में मां की छवि को और अधिक मानवीय और वास्तविक बनाने की जरूरत है, जहां उनकी ताकत के साथ-साथ उनकी कमजोरियां भी स्वीकारी जाएं।

काजोल ने आगे कहा, "हमें खुद से सवाल पूछने होंगे कि हम खुद को कैसे देखते हैं। जैसे-जैसे हमारा नजरिया बदलेगा, समाज का नजरिया भी बदलेगा।"

Point of View

बल्कि महिलाओं की वास्तविकताओं को भी उजागर करता है। यह समय की मांग है कि हम मां के किरदार को और अधिक मानवीय और वास्तविक रूप में स्वीकार करें।
NationPress
23/08/2025

Frequently Asked Questions

काजोल ने मां के किरदारों में बदलाव पर क्या कहा?
काजोल ने कहा कि सिनेमा में मां के किरदार समाज के साथ बदल रहे हैं और मां की छवि को और अधिक मानवीय और वास्तविक बनाने की जरूरत है।
क्या मां का किरदार सिनेमा में मजबूत दिखाया गया है?
हां, काजोल का मानना है कि मां का किरदार अब मजबूत और कमजोर दोनों रूपों में दिखाया जा रहा है।