क्या मनोज कुमार को शाहरुख-फराह ने धोखा दिया?

सारांश
Key Takeaways
- मनोज कुमार ने अपने करियर में कई सफल फिल्में कीं।
- उनके लिए आत्मसम्मान बेहद महत्वपूर्ण था।
- उन्होंने शाहरुख खान और फराह खान के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की।
- मनोज कुमार का असली नाम हरिकिशन गिरी गोस्वामी था।
- उनका जीवन संघर्ष और देशभक्ति से भरा हुआ था।
मुंबई, 23 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। निर्माता-निर्देशक और अभिनेता मनोज कुमार ने अपने लंबे सिनेमाई सफर में कई उपलब्धियां हासिल की हैं। उनकी फिल्मों ने भारत के हर कोने में देशभक्ति की भावना को जागृत किया। उनके द्वारा निभाए गए किरदार दर्शकों के दिलों में बस जाते थे। 'उपकार', 'पूरब और पश्चिम', 'शहीद', और 'रोटी कपड़ा और मकान' जैसी फिल्मों ने उन्हें 'भारत कुमार' का उपनाम दिया। वह स्वभाव से शांत थे, लेकिन एक ऐसा समय आया जब उनके आत्मसम्मान को चोट पहुंची, और वह भी किसी अनजान व्यक्ति से नहीं, बल्कि इंडस्ट्री के बड़े सितारों शाहरुख खान और फराह खान से। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि शाहरुख और फराह ने उन्हें धोखा दिया है। इस बात पर उन्हें इतना गुस्सा आया कि उन्होंने दोनों को कोर्ट तक घसीट लिया।
यह मामला साल 2007 में रिलीज हुई फिल्म 'ओम शांति ओम' से जुड़ा है। इस फिल्म में बॉलीवुड की पुरानी फिल्मों और कलाकारों का हल्का-फुल्का मजाक किया गया था। इसमें एक दृश्य था, जिसमें शाहरुख खान, मनोज कुमार की शैली की नकल करते हैं। वह अपना चेहरा हाथ से छिपाते हैं ताकि सिक्योरिटी गार्ड उन्हें पहचान न सके। यह दृश्य दर्शकों को हंसाने के लिए था, लेकिन जब मनोज कुमार ने इसे देखा, तो उनका दिल टूट गया।
उन्होंने इस दृश्य को अपने आत्मसम्मान और पहचान पर चोट की तरह महसूस किया। उन्होंने शाहरुख और फराह के खिलाफ मानहानि का केस दर्ज किया। उनका कहना था कि फिल्म में जो दिखाया गया, वह कोई मजेदार दृश्य नहीं, बल्कि उनका अपमान था। इस दौरान फराह खान और शाहरुख खान ने काफी कोशिश की कि मामला शांत हो जाए। इसके लिए शाहरुख ने माफी भी मांगी और वादा किया कि फिल्म से यह दृश्य हटा दिया जाएगा।
मनोज कुमार ने उनके वादे पर भरोसा किया और मामला कोर्ट से वापस ले लिया। लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई। कुछ समय बाद जब 'ओम शांति ओम' जापान में रिलीज हुई, तो मनोज कुमार को पता चला कि वह विवादित दृश्य फिल्म से हटा ही नहीं है। यह जानकर उन्हें बहुत दुख हुआ।
एक इंटरव्यू में उन्होंने खुलकर कहा, ''मैंने उन पर भरोसा किया था, लेकिन उन्होंने मेरे साथ धोखा किया है। उन्होंने कहा था कि दृश्य हटा दिया गया है, लेकिन वह तो फिल्म में वैसे का वैसा ही है। मुझे मजबूरन फिर से कानूनी रास्ता अपनाना पड़ेगा।'' हालांकि कुछ समय बाद यह विवाद शांत हो गया।
मनोज कुमार का असली नाम हरिकिशन गिरी गोस्वामी था। उनका जन्म २४ जुलाई १९३७ को अब पाकिस्तान के हिस्से में आने वाले ऐबटाबाद शहर में हुआ था। जब देश का बंटवारा हुआ, तो उनका परिवार शरणार्थी बनकर भारत आ गया। उन्होंने बचपन में बहुत दुख और तकलीफ देखी, जिन अनुभवों ने उन्हें एक संवेदनशील इंसान बना दिया। दिल्ली में पढ़ाई पूरी करने के बाद १९ साल की उम्र में वह अभिनेता बनने का सपना लेकर मुंबई आए।
उन्होंने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत १९५७ में आई फिल्म 'फैशन' से की, जिसमें उन्होंने एक बूढ़े भिखारी का छोटा-सा रोल निभाया। लेकिन जल्द ही उन्हें १९६१ में 'कांच की गुड़िया' और फिर १९६२ में 'हरियाली और रास्ता' जैसी फिल्मों से पहचान मिलने लगी। उनकी जिंदगी का सबसे बड़ा मोड़ १९६५ में आया, जब उन्होंने शहीद भगत सिंह पर बनी फिल्म 'शहीद' में मुख्य भूमिका निभाई। अपनी फिल्मों के जरिए वह लोगों के लिए देशभक्ति का अहम चेहरा बन गए।
मनोज कुमार न सिर्फ एक बेहतरीन अभिनेता थे, बल्कि सफल निर्देशक और लेखक भी थे। 'उपकार' में उन्होंने अभिनय, निर्देशन, कहानी और संवाद सब कुछ खुद ही किया। 'मेरे देश की धरती' जैसे गानों से उन्होंने लोगों के दिलों पर राज किया।
२१ जुलाई २०२५ को ८७ वर्ष की उम्र में मनोज कुमार ने दुनिया को अलविदा कह दिया।