क्या शेफाली शाह ने बचपन में क्रिसमस की जादुई यादें साझा की हैं?
सारांश
Key Takeaways
- क्रिसमस का जश्न बच्चों के लिए खास होता है।
- सांता पर विश्वास बच्चों की मासूमियत को दर्शाता है।
- परिवार का प्यार और समर्थन महत्वपूर्ण है।
- बच्चों के लिए जादुई दुनिया बनाए रखना जरुरी है।
- शेफाली शाह ने अपनी यादों से हमें यह सिखाया कि कैसे विश्वास को तोड़ा जा सकता है।
मुंबई, २४ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। क्रिसमस का जश्न हर जगह मनाया जा रहा है। इस अवसर पर हर कोई उत्साहित नजर आ रहा है। इसी संदर्भ में, अभिनेत्री शेफाली शाह ने अपने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट के माध्यम से क्रिसमस की पुरानी यादें साझा की हैं।
अभिनेत्री ने बताया कि एक बार क्रिसमस उनके लिए जादू और मासूमियत का दिन नहीं रहा। उन्होंने कुछ तस्वीरें साझा करते हुए बताया कि जब वे छोटी थीं, तो एक रिश्तेदार ने कहा, "क्या तुम सच में सांता को मानती हो? असल में तुम्हारे मम्मी-पापा ही उपहार देते हैं।"
इस बात को सुनकर उनका दिल टूट गया और ऐसा लगा जैसे कोई उनके सपनों के गुब्बारे में सुई चुभो रहा हो। उन्होंने उस रिश्तेदार से बहस की और खुद को यह यकीन दिलाने की कोशिश की कि सांता सच में होता है।
शेफाली ने लिखा, "उस पल मुझे बहुत दुख हुआ और समझ नहीं आ रहा था कि इस भावना को कैसे व्यक्त करूं। बाद में मुझे एहसास हुआ कि मुझे अपने माता-पिता की सराहना करनी चाहिए थी, जिन्होंने अपनी सीमित आमदनी के बावजूद मुझे खुश करने के लिए अधिक खर्च किया। लेकिन उस समय मुझे लगा था कि मुझे धोखा दिया गया है।"
उन्होंने आगे लिखा, "एक बार विश्वास टूट जाए, तो उसे फिर से जोड़ना बहुत कठिन होता है, खासकर जब सांता खुद आकर न कहे कि वह असली है।"
शेफाली ने बताया कि उस घटना के बाद उनके अंदर का बच्चा खो गया था। उन्होंने लिखा, "मेरे अंदर का बच्चा कहीं खो गया था, लेकिन जब मेरे बच्चे हुए, तो कहानियों, कल्पनाओं और जादुई दुनिया की वापसी हुई। अब मैं खुद सांता बनकर बच्चों के लिए वह मासूमियत और उम्मीदें जिंदा रखने की कोशिश करती हूं।"