क्या सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सोनाक्षी सिन्हा, जीनत अमान और रूपाली गांगुली की असहमति उचित है?

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क्या सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सोनाक्षी सिन्हा, जीनत अमान और रूपाली गांगुली की असहमति उचित है?

सारांश

सुप्रीम कोर्ट द्वारा आवारा कुत्तों को शेल्टर भेजने के फैसले पर बॉलीवुड और टीवी सितारों की असहमति ने बहस छेड़ दी है। इस निर्णय के मानवता और संस्कृति पर प्रभाव पर चर्चा की जा रही है। जानें इस मुद्दे पर हस्तियों की राय।

Key Takeaways

  • सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आवारा कुत्तों को शेल्टर भेजने का है।
  • बॉलीवुड और टीवी सितारों ने इस फैसले पर असहमति जताई है।
  • जीनत अमान, सोनाक्षी सिन्हा, और रुपाली गांगुली ने अपनी राय साझा की।
  • आवारा कुत्ते हमारी संस्कृति का हिस्सा हैं।
  • हमें एक ऐसा सिस्टम विकसित करने की आवश्यकता है जिसमें जानवरों और इंसानों की सुरक्षा हो।

मुंबई, 12 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को आश्रय स्थल में भेजने का निर्णय लिया है। इस निर्णय पर सोशल मीडिया पर व्यापक चर्चा हो रही है। बॉलीवुड और टीवी इंडस्ट्री के कई सितारों ने इस फैसले पर असंतोष व्यक्त किया है और इसे अमानवीय बताया है।

सोनाक्षी सिन्हा, जीनत अमान, रुपाली गांगुली और श्रिया पिलगांवकर समेत अनेक हस्तियों ने सोशल मीडिया पर अपनी राय साझा की।

प्रसिद्ध अभिनेत्री जीनत अमान ने इंस्टाग्राम स्टोरीज पर एक नोट साझा किया जिसमें उन्होंने लिखा, "दिल्ली में आवारा कुत्तों को हटाने की खबर सुनकर मैं बेहद दुखी हूँ। मैं सभी पशु प्रेमियों के साथ मिलकर इस मुद्दे पर मानवीय, तार्किक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण की मांग करती हूँ।"

वहीं, सोनाक्षी सिन्हा ने कहा, "हम रोज़ यह प्रदर्शित कर रहे हैं कि हमारा समाज कितना बेरहम होता जा रहा है। हर दिन निराशा ही मिलती है।"

टीवी शो 'अनुपमा' की रुपाली गांगुली ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "हमारी परंपराओं में कुत्ते भैरव बाबा के मंदिर की रखवाली करते हैं और अमावस्या के दिन इन्हें भोजन खिलाने की प्रथा है। ये कुत्ते हमारी गलियों में पलते हैं, दुकानों की रखवाली करते हैं, और चोरों को भगाते हैं।"

उन्होंने आगे कहा, "उन्हें हटाना मतलब अपने रक्षकों को खोना है। उन्हें दूर शेल्टर में भेजना दया नहीं, बल्कि निर्वासन है। आवारा कुत्ते बाहरी नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति, आस्था और सुरक्षा का हिस्सा हैं। उनकी देखभाल करें, टीकाकरण करवाएं, भोजन दें और उन्हें उनके स्थान पर रहने दें।"

श्रिया पिलगांवकर ने भी इस मुद्दे पर कहा, "दया और समझदारी साथ-साथ चलनी चाहिए। मैं मानती हूं कि लोगों की सुरक्षा जरूरी है, लेकिन सभी आवारा कुत्तों को शेल्टर में भेजना न इंसानियत है और न ही यह कोई टिकाऊ समाधान है। भारत में पहले से ही पशुओं के लिए पर्याप्त शेल्टर नहीं हैं, और जो हैं, वो भी ज्यादातर भरे हुए हैं और संसाधनों की कमी से जूझ रहे हैं। कुत्तों को उनकी जगहों से हटाने की बजाय हमें ऐसा सिस्टम बनाना चाहिए जिसमें लोग और जानवर एक साथ सुरक्षित रूप से रह सकें।"

Point of View

बल्कि समाज के लिए भी एक गंभीर मामला है। हमें यह समझना होगा कि जानवरों की सुरक्षा भी मानवता का एक हिस्सा है। हमें एक ऐसा सिस्टम विकसित करने की आवश्यकता है जो मानव और जानवर दोनों के लिए सुरक्षित हो।
NationPress
28/11/2025

Frequently Asked Questions

सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्या है?
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को शेल्टर भेजने का निर्णय लिया है।
इस फैसले पर सितारों की क्या राय है?
कई सितारों ने इस फैसले को अमानवीय बताया है और असहमति जताई है।
क्या आवारा कुत्तों की देखभाल जरूरी है?
जी हां, आवारा कुत्तों की देखभाल न केवल उनकी भलाई के लिए, बल्कि हमारी संस्कृति के लिए भी जरूरी है।
आपत्तिजनक निर्णय का वैकल्पिक समाधान क्या हो सकता है?
हमें ऐसा सिस्टम बनाना चाहिए जिसमें लोग और जानवर सुरक्षित रूप से रह सकें।
क्या इस मुद्दे पर और बहस चल रही है?
हां, इस मुद्दे पर सोशल मीडिया पर व्यापक चर्चा हो रही है।
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