क्या एक गलत नोट ने वाजिद खान की जिंदगी को बदल दिया? बनी बॉलीवुड की मशहूर म्यूजिक जोड़ी 'वाजिद-साजिद'

सारांश
Key Takeaways
- वाजिद खान का सफर संघर्ष और संकल्प से भरा था।
- उनकी जोड़ी साजिद-वाजिद ने बॉलीवुड में अद्भुत संगीत दिया।
- गलतियों से सीखना और आगे बढ़ना जरूरी है।
- स्वास्थ्य समस्याओं के बावजूद उन्होंने संगीत नहीं छोड़ा।
- उनका संगीत आज भी लोगों के दिलों में बसा हुआ है।
मुंबई, 6 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। वाजिद खान बॉलीवुड के प्रसिद्ध म्यूजिक कंपोजर और गायक थे, जिनका नाम हर संगीत प्रेमी के दिलों में गूंजता है। उन्होंने अपने करियर में कई अद्भुत गाने दिए, लेकिन उनकी सफलता की कहानी में एक ऐसा पल छिपा है जिसने उनके संघर्ष और संकल्प को उजागर किया। संगीत की दुनिया में कदम रखने से पहले वाजिद का जीवन किसी फिल्म की कहानी से कम नहीं था। उनके शुरुआती दिनों में एक घटना ने उन्हें और उनके भाई साजिद को अपने सपनों के प्रति दृढ़ संकल्पित किया। वाजिद के संगीत सफर की यह कहानी प्रेरणादायक है और उनकी मेहनत का प्रमाण भी है।
वाजिद खान का जन्म 7 अक्टूबर 1977 को हुआ। वह एक संगीत परिवार में पैदा हुए थे। उनके पिता, शराफत अली खान, एक प्रसिद्ध तबला वादक थे, जबकि उनके मामा, उस्ताद फैज अहमद खान, एक नामचीन शास्त्रीय गायक थे। बचपन से ही वाजिद ने संगीत की गहराइयों को समझा। उन्हें गिटार बजाना सबसे ज्यादा पसंद था। उनकी एक खासियत थी कि वह बहुत कम बोलते थे, लेकिन जब संगीत की बात होती, तो उनकी भावनाएं सुरों के माध्यम से व्यक्त होती थीं।
उनका बॉलीवुड करियर 1998 में सलमान खान की फिल्म 'प्यार किया तो डरना क्या' से आरंभ हुआ। इस फिल्म में उनका गाना 'तेरी जवानी बड़ी मस्त मस्त है' बेहद सफल रहा और वाजिद का नाम संगीत जगत में प्रसिद्ध हो गया। लेकिन इस सफलता के पीछे एक दर्द भरा पल था। जब वह एक बड़े म्यूजिक कंपोजर के अधीन गिटार बजा रहे थे, तब एक गलत नोट बजने पर उन्हें ही दोषी ठहराया गया। यह घटना उनके दिल को गहरी चोट पहुंचाई।
उनके पिता उस समय वहां मौजूद थे, और उनकी आंखों में आंसू थे। यह अनुभव वाजिद और साजिद के लिए एक महत्वपूर्ण सबक था। उस दिन दोनों भाइयों ने संकल्प लिया कि वे खुद अपना संगीत बनाएंगे और एक अलग पहचान बनाएंगे।
उस दिन से साजिद-वाजिद की जोड़ी ने बॉलीवुड में अपनी पहचान बनाई। दोनों भाइयों ने कई फिल्मों के लिए संगीत तैयार किया, और उनके गाने आज भी दिलों में बसे हुए हैं। उन्होंने सलमान खान की कई फिल्मों में संगीत दिया, जैसे 'गर्व', 'तुमको ना भूल पाएंगे', 'पार्टनर', और 'दबंग' फ्रेंचाइजी। खास बात यह है कि वाजिद ने सिर्फ संगीत नहीं दिया, बल्कि सलमान खान के लिए कई गाने खुद भी गाए, जिनमें 'मेरा ही जलवा' और 'हमका पीनी है' जैसे गाने शामिल हैं।
साजिद-वाजिद की जोड़ी को उनकी मेहनत का पुरस्कार भी मिला। वर्ष 2011 में उन्हें फिल्म 'दबंग' के संगीत के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनके गाने जब भी रिलीज होते, वे तुरंत हिट हो जाते और पार्टी से लेकर शादियों तक हर जगह बजते। उनके गानों में मस्ती, रोमांस और ऊर्जा का अनोखा मिश्रण होता था, जो उन्हें अन्य संगीतकारों से अलग करता था।
हालांकि, वाजिद खान का जीवन कठिनाइयों से भरा था। वह लंबे समय से किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे। स्वास्थ्य की चिंता के बावजूद उन्होंने कभी संगीत बनाना नहीं छोड़ा। 1 जून 2020 को उनका निधन हो गया। 42 साल की उम्र में कार्डियक अरेस्ट के कारण उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन से पूरा बॉलीवुड और उनके फैंस गहरे सदमे में चले गए। उनके भाई साजिद ने कई बार बताया कि वाजिद के बिना काम करना कितना कठिन है। वे अक्सर कहते थे कि वाजिद के संगीत में जो जादू था, उसे कोई नहीं निभा सकता। वाजिद का संगीत और उनकी यादें आज भी लोगों के दिलों में जीवित हैं।