क्या जोहरा सहगल ने शादी टालने के लिए 10वीं में तीन बार फेल होने का साहस दिखाया?

सारांश
Key Takeaways
- जोहरा सहगल ने शादी टालने के लिए 10वीं में तीन बार फेल होने का साहस दिखाया।
- उन्होंने अपनी पढ़ाई के लिए परिवार के दबाव को चुनौती दी।
- उनका करियर सात दशकों तक फैला रहा, जिसमें उन्होंने कई पुरस्कार जीते।
- जोहरा ने न केवल अभिनय किया, बल्कि कोरियोग्राफर के रूप में भी काम किया।
- उनका जीवन एक प्रेरणा है कि हिम्मत और जज्बा से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।
नई दिल्ली, 9 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। जोहरा सहगल का नाम भारतीय सिनेमा और रंगमंच की दुनिया में एक विशेष स्थान रखता है। वह केवल एक उत्कृष्ट अभिनेत्री नहीं थीं, बल्कि अपनी जिद और हिम्मत के लिए भी जानी जाती थीं। उनका सबसे दिलचस्प किस्सा तब का है, जब उन्होंने अपनी शादी को टालने के लिए जानबूझकर 10वीं की परीक्षा में तीन बार फेल होना स्वीकार किया।
उस समय लड़कियों की शादी जल्दी कर दी जाती थी और उनकी पढ़ाई अधूरी रह जाती थी। जोहरा के परिवार ने भी उनकी जल्दी शादी की योजना बनाई थी। लेकिन जोहरा अधिक पढ़ाई करना चाहती थीं, इसलिए उन्होंने टॉपर रहने के बावजूद तीन बार 10वीं की परीक्षा में फेल होने का निर्णय लिया, जिससे उनके परिवार को मजबूरन उनकी शादी रोकनी पड़ी।
उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले में 27 अप्रैल 1912 को एक मुस्लिम परिवार में जन्मी जोहरा का पूरा नाम साहिबजादी जोहरा मुमताज उल्लाह खान बेगम था। उनका बचपन उत्तराखंड के चकराता में बीता। उन्होंने अपनी मां को बचपन में ही खो दिया था। जोहरा ने अपनी पढ़ाई लाहौर के क्वीन मैरी कॉलेज से की, जो उस वक्त देश का पहला इंटरनेशनल स्कूल माना जाता था। उस समय लड़कियों को पढ़ाई के लिए भेजना एक बड़ी बात थी, और जोहरा को यह अवसर उनकी जिद और हिम्मत का प्रमाण है।
पढ़ाई पूरी करने के बाद, 1930 में जोहरा यूरोप चली गईं। उन्होंने जर्मनी के ड्रेसडेन में मेरी विगमैन के बैले स्कूल में तीन साल तक मॉडर्न डांस की शिक्षा ली।
जोहरा सहगल ने 1935 में नृत्य गुरु उदय शंकर के साथ डांसर के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की। वह जापान, मिस्र, यूरोप और अमेरिका में भी अपनी कला का प्रदर्शन कर चुकी थीं। इसी दौरान उनकी मुलाकात कामेश्वर सहगल से हुई, जो एक वैज्ञानिक, डांसर और पेंटर थे।
जोहरा ने बिना किसी डर के उनसे शादी की, जिसके कारण उनके परिवार में विवाद हुआ, लेकिन उन्होंने किसी की परवाह नहीं की। शादी के बाद जोहरा अपने पति के साथ लाहौर चली गईं और वहां उन्होंने 'जोहरा डांस इंस्टिट्यूट' नामक अकादमी खोली।
साल 1947 में भारत-पाकिस्तान के विभाजन के बाद, लाहौर में दंगों के चलते जोहरा को अपनी एक साल की बच्ची और पति के साथ मुंबई आना पड़ा। यहां उन्होंने फिर से अपनी कला और अभिनय को आगे बढ़ाया। उनकी पहली फिल्म 1946 में आई 'धरती के लाल' थी। इसके बाद उन्होंने चेतन आनंद की फिल्म 'नीचा नगर' में भी काम किया, जिसे कान फिल्म फेस्टिवल में पुरस्कार भी मिला।
जोहरा सहगल ने केवल अभिनय ही नहीं किया, बल्कि कोरियोग्राफर के रूप में भी काम किया। उन्होंने राज कपूर की 'आवारा' और गुरुदत्त की 'बाजी' जैसी फिल्मों में कोरियोग्राफी की।
उनका फिल्मी करियर सात दशकों से भी अधिक लंबा था, जिसमें उन्होंने 'दिल से', 'हम दिल दे चुके सनम', 'कभी खुशी कभी गम', 'वीर-जारा', 'सांवरिया' जैसी फिल्मों में यादगार भूमिकाएं निभाई।
साल 2007 में आई सोनम कपूर और रणबीर सिंह की फिल्म 'सांवरिया' उनकी आखिरी फिल्म थी।
जोहरा सहगल ने अपने अभिनय और कला के लिए कई पुरस्कार भी प्राप्त किए, जिनमें पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण शामिल हैं।
जोहरा सहगल ने 10 जुलाई 2014 को 102 वर्ष की आयु में इस दुनिया को अलविदा कहा। उन्होंने अपने जीवन में यह साबित किया कि अगर हिम्मत और जज्बा हो तो कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।