क्या 'बड़ी दूधी घास' में छुपे हैं अनेक औषधीय गुण?

सारांश
Key Takeaways
- बड़ी दूधी घास में औषधीय गुणों का भंडार है।
- यह डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद है।
- खांसी और दमा में राहत देती है।
- त्वचा की समस्याओं में उपयोगी होती है।
- पाचन क्रिया को सुधारने में मददगार है।
नई दिल्ली, 16 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। प्रकृति ने हमें अनेक अनमोल उपहार दिए हैं, जिनमें से ‘बड़ी दूधी घास’ एक विशेष उपहार है। बहुत से लोग इसे केवल एक साधारण घास मानते हैं, लेकिन इसकी असली ताकत जानकर आप हैरान रह जाएंगे। इसे वैज्ञानिक रूप से यूफोरबिया हिर्टा कहा जाता है, और इसमें कई औषधीय गुण छिपे हुए हैं, जो हमारी सेहत के लिए अति लाभकारी हो सकते हैं। इस पौधे का उपयोग भारत में सदियों से आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी चिकित्सा में किया जा रहा है। चाहे खांसी, दमा, पेट की समस्याएं या मलेरिया, बड़ी दूधी घास हर समस्या में सहायक होती है।
अमेरिकी नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार, वैज्ञानिकों ने भी इसके गुणों को स्वीकार किया है। उनके शोध में यह पाया गया है कि इसमें फ्लैवोनोइड्स जैसे अफ्जेलिन, क्वेर्सिट्रिन, मायरिसिट्रिन, रुटिन और क्वेर्सिटिन शामिल हैं, जो शरीर को फ्री रेडिकल्स से बचाते हैं। इसके अतिरिक्त, इसमें टैनिक एसिड, ट्राइटरपीनॉइड्स जैसे बीटा अमीरिन, और फाइटोस्टेरोल भी मौजूद होते हैं। इसमें शिंकिमिक एसिड, अल्केन, और पॉलीफेनोल्स भी होते हैं, जो सूजन को कम करने और बैक्टीरिया तथा फंगस से लड़ने में मदद करते हैं। विशेष यौगिक जैसे यूफोर्बिन-ए, बी, सी, डी और क्वेरसिटोल डेरिवेटिव्स भी इसमें पाए जाते हैं। ये सभी तत्व मिलकर बड़ी दूधी घास को एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट, एंटीबैक्टीरियल, और एंटीफंगल बनाते हैं।
आयुर्वेद में इसे दुग्धिका या शीता के नाम से भी जाना जाता है। यह शरीर में इंसुलिन के प्रभाव को बढ़ाता है और ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करके डायबिटीज के मरीजों के लिए अत्यंत लाभकारी है। यह शरीर की पाचन क्रिया को भी सुधारता है। इसके अलावा, इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स भी होते हैं, जो शरीर को हानिकारक फ्री रेडिकल्स से सुरक्षित रखते हैं।
बड़ी दूधी घास अस्थमा और अन्य सांस संबंधी बीमारियों में भी प्रभावी है। इसका काढ़ा बनाकर पीने से फेफड़ों की सूजन कम होती है और सांस लेने में आसानी होती है। जो लोग खांसी या दमा से परेशान हैं, वे दिन में दो बार इसका काढ़ा पीकर राहत पा सकते हैं। यह पौधा श्वसन नलिकाओं को खोलता है और श्वसन प्रणाली को स्वस्थ रखने में सहायता करता है।
त्वचा की समस्याओं में भी बड़ी दूधी घास अत्यंत उपयोगी है। विशेषकर कील-मुंहासे, खुजली और त्वचा के संक्रमण में इसके दूध या पत्तों का पेस्ट लगाने से लाभ होता है। इसकी एंटीबैक्टीरियल विशेषताएं त्वचा की सुरक्षा करती हैं और संक्रमण को दूर करती हैं।
पाचन संबंधी समस्याओं जैसे दस्त, पेचिश और पेट दर्द में भी यह पौधा सहायक होता है। बड़ी दूधी घास के पत्ते, तना और जड़ का काढ़ा बनाकर पीने से पाचन तंत्र मजबूत होता है और पेट की समस्याएं दूर होती हैं। यह शरीर में रक्त साफ करने और रक्त विकारों को दूर करने का कार्य भी करता है।
स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए भी यह पौधा लाभकारी है। इसका सेवन करने से मां का दूध बढ़ता है। इसके साथ ही, मासिक धर्म के अनियमित होने में इसकी जड़ का चूर्ण उपयोगी होता है, जिससे महिलाओं के मासिक चक्र सही होते हैं।
नेत्र रोगों में इसके रस को आंखों में डालने और दंत रोगों में जड़ को चबाने से राहत मिलती है। बच्चों में नकसीर यानी नाक से खून बहने की समस्या में भी इसके चूर्ण का उपयोग लाभकारी होता है।