क्या बरसात में ‘नीम’ का महत्व बढ़ जाता है? संक्रमण समेत इन समस्याओं की छुट्टी तय!

सारांश
Key Takeaways
- नीम के औषधीय गुण संक्रमण से बचाते हैं।
- नीम का सेवन पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है।
- नीम के फूल मधुमेह और कैंसर के खिलाफ हैं।
- बरसात में नीम का उपयोग संक्रमणों से सुरक्षा के लिए करें।
- आयुर्वेद में नीम को 'सर्व रोग निवारिणी' कहा गया है।
नई दिल्ली, 20 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। जबकि बरसात का मौसम ताजगी लाता है, वहीं फंगल और बैक्टीरियल संक्रमण का खतरा भी बढ़ता है। इस समय में, नीम की पत्तियां, फूल, फल और तना प्रकृति का एक अनमोल उपहार बन जाते हैं। नीम के औषधीय गुण न केवल संक्रमण से सुरक्षा प्रदान करते हैं, बल्कि कई गंभीर बीमारियों में भी राहत पहुंचाते हैं।
नीम में एंटी-फंगल, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो बरसात में होने वाले संक्रमणों से रक्षा करते हैं। नीम के पत्तों से स्नान करने से त्वचा पर संक्रमण नहीं फैलता। नीम का अर्क डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों में प्लेटलेट्स बढ़ाने में मददगार है। इसके नियमित सेवन से खून साफ होता है, त्वचा पर निखार आता है और मुंहासे, दाग-धब्बों से छुटकारा मिलता है। नीम की पत्तियां और फूल पेट के कीड़ों को खत्म करने, पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने और कब्ज, अपच जैसी समस्याओं में भी लाभदायक हैं।
आयुर्वेद में नीम को 'सर्व रोग निवारिणी' कहा गया है। बरसात के मौसम में फंगल संक्रमण और बैक्टीरियल इन्फेक्शन बढ़ते हैं। नीम के पत्तों से स्नान करने पर शरीर पर संक्रमण नहीं फैलता।
टेलर एंड फ्रांसिस के जून 2024 के शोध पत्र के अनुसार, नीम के फूलों में मधुमेह और कैंसर विरोधी गुण पाए गए हैं। इथेनॉलिक अर्क मधुमेह और कैंसर कोशिकाओं से लड़ने में सबसे प्रभावी है। नीम के फूलों का शरबत पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है और डायबिटीज को नियंत्रित करने में मदद करता है।
नीम के फूलों और पत्तियों का सेवन रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है और इससे भूख भी लगती है। उत्तर भारत में नीम के फूलों की भुजिया सरसों के तेल और जीरे की छौंक के साथ बनाई जाती है, जबकि दक्षिण भारत में इसे कई व्यंजनों में शामिल किया जाता है।
गर्मी और बरसात में नीम का शरबत पीने से हीटवेव और त्वचा संबंधी समस्याओं से बचा जा सकता है। आयुर्वेद में नीम को हर रूप में औषधि माना गया है, जो छोटी-बड़ी कई समस्याओं को दूर करता है।