क्या गोखरू मूत्र और वात संबंधी रोगों का आयुर्वेदिक उपचार है? जानिए इसके फायदे
सारांश
Key Takeaways
- गोखरू मूत्र और वात रोगों के उपचार में सहायक है।
- यह पाचन शक्ति को बढ़ाने में मदद करता है।
- गोखरू का काढ़ा दर्द और सूजन के लिए फायदेमंद है।
- यह महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार करता है।
- गोखरू का सेवन पुरुषों के लिए भी लाभकारी है।
नई दिल्ली, 10 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। गोखरू एक अत्यंत प्रभावशाली जड़ी-बूटी है, जो सदियों से हमारे आयुर्वेद में प्रयोग की जा रही है। इसे त्रिदोषनाशक माना जाता है, जो शरीर के वात, पित्त और कफ तीनों दोषों को संतुलित करने में सहायता करती है। इसका फल, पत्ता और तना सभी औषधि के रूप में उपयोगी होते हैं।
चरक संहिता में भी गोखरू का उल्लेख मूत्र संबंधी और वात रोगों के उपचार में किया गया है।
गोखरू के गुण अनगिनत हैं। यह सूजन कम करने, दर्द को मिटाने, खून को ठंडा करने और कफ-पित्त को संतुलित करने में सहायक है। जिन लोगों को पेशाब करते समय जलन, दर्द या रुकावट महसूस होती है, उनके लिए यह बेहद फायदेमंद है।
गोखरू मूत्रवर्धक होता है, जिससे शरीर के विषैले तत्व बाहर निकल जाते हैं। यदि पथरी की समस्या हो तो गोखरू चूर्ण को मधु और दूध के साथ कुछ दिनों तक लेने से पथरी टूटकर बाहर निकल जाती है।
आजकल के प्रदूषण और गलत खान-पान के कारण पाचन की समस्याएँ आम हो गई हैं। ऐसे में गोखरू का काढ़ा पीने से पाचन शक्ति में सुधार होता है और गैस, अपच या दस्त जैसी समस्याओं से राहत मिलती है।
इसके अतिरिक्त, यदि किसी को बार-बार सिरदर्द या बुखार होता है, तो गोखरू का काढ़ा बहुत लाभकारी रहता है। दमे या सांस की तकलीफ में भी गोखरू और अंजीर का सेवन अत्यधिक प्रभावी होता है।
महिलाओं के लिए भी गोखरू काफी उपयोगी है। गर्भाशय में दर्द या सूजन होने पर गोखरू, मुलेठी और किशमिश का मिश्रण आराम देता है। पुरुषों में यह वीर्य की गुणवत्ता और स्पर्म काउंट बढ़ाने में सहायता करता है, जिससे यौन कमजोरी दूर होती है।
जोड़ों का दर्द, कमर दर्द या सूजन जैसी समस्याओं में गोखरू का काढ़ा सुबह-शाम पीने से राहत मिलती है। यदि त्वचा पर खुजली, दाद या फोड़े-फुंसी जैसी समस्या हो तो गोखरू के फल को पानी में पीसकर लेप लगाने से लाभ होता है।