क्या सिंहपर्णी किडनी और लिवर के लिए संजीवनी है?

सारांश
Key Takeaways
- सिंहपर्णी एक प्राकृतिक डिटॉक्सिफायर है।
- यह किडनी और लिवर के स्वास्थ्य को बढ़ाता है।
- इसके पत्तों में विटामिन्स और मिनरल्स होते हैं।
- यह मधुमेह को नियंत्रित करने में मदद करता है।
- सिंहपर्णी का नियमित सेवन सेहत के लिए लाभकारी है।
नई दिल्ली, 10 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। सिंहपर्णी एक बारहमासी खरपतवार है, जिसका वैज्ञानिक नाम टराक्सेकम है। यह पौधा अपने पीले फूलों और औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। सुश्रुत संहिता में इसे 'दुग्धिका' या 'पर्णबीज' के नाम से भी जाना गया है और इसका उपयोग सदियों से अनेक बीमारियों के उपचार के लिए किया जाता रहा है।
सिंहपर्णी एक ऐसा पौधा है जो मानव गतिविधियों के चलते विश्वभर में फैल गया है। इसका मूल स्थान यूरेशिया है, लेकिन यह अमेरिका, दक्षिणी अफ्रीका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में भी पाया जा सकता है। भारत में, यह मुख्य रूप से हिमालयी क्षेत्र में मिलता है। इसकी 30 से अधिक प्रजातियां भी मौजूद हैं।
सुश्रुत संहिता के अनुसार, सिंहपर्णी फाइबर का एक उत्कृष्ट स्रोत है, जो कब्ज से राहत दिलाने और पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में सहायता करता है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो शरीर की सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं।
आयुर्वेद में इसे लिवर के लिए प्राकृतिक डिटॉक्सिफायर माना गया है। इसकी जड़ और पत्तियां पाचन तंत्र को मजबूत बनाती हैं। इसके पत्तों में विटामिन ए, सी, और डी के साथ-साथ पोटैशियम और कैल्शियम जैसे खनिजों का बेहतरीन स्रोत है। इन्हें आहार में शामिल करने से डायबिटीज को नियंत्रित करने और इम्युनिटी बढ़ाने में मदद मिलती है।
अमेरिकी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार, इसके पत्तों के अर्क में ऐसे यौगिक होते हैं जो किडनीकिडनी पर भार कम होता है और यह स्वस्थ रहती है।
मधुमेह रोगियों के लिए सिंहपर्णी की चाय फायदेमंद होती है। यह पैंक्रियास को उत्तेजित करके इंसुलिन के उत्पादन में मदद करती है, जिससे रक्त शर्करा का स्तर नियंत्रित रहता है।
कैल्शियम और विटामिन के की प्रचुर मात्रा के कारण यह हड्डियों को मजबूत बनाने और हड्डियों से संबंधित संक्रमणों को दूर करने में मदद करता है।