क्या कुपोषण से जूझ रही अफगानिस्तान की महिलाएं और बच्चों को तत्काल सहायता की आवश्यकता है?

सारांश
Key Takeaways
- अफगानिस्तान में 47 लाख से अधिक महिलाएं और बच्चे कुपोषण का शिकार हैं।
- खाद्य असुरक्षा की स्थिति गंभीर है।
- अंतर्राष्ट्रीय मदद की आवश्यकता है।
- बेरोजगारी और गरीबी ने स्थिति को और भी गंभीर बना दिया है।
- मानवीय संगठनों ने सहायता बढ़ाने की अपील की है।
काबुल, 12 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। संयुक्त राष्ट्र ने अफगानिस्तान में 47 लाख से अधिक महिलाओं और बच्चों को तत्काल कुपोषण से बाहर निकालने की आवश्यकता पर जोर दिया है। यूएन के अनुसार, सूखे, आर्थिक संकट और जरूरी फंडिंग की कमी के चलते देश गंभीर मानवीय संकट का सामना कर रहा है।
स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, अफगानिस्तान की प्रमुख समाचार एजेंसी खामा प्रेस के माध्यम से, संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने चेतावनी दी है कि अफगानिस्तान की खाद्य सुरक्षा की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। उन्होंने बताया कि हर चार में से एक अफगान गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहा है, और सबसे अधिक प्रभावित बच्चे हैं।
विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) ने कहा है कि अफगानिस्तान में 2025 तक कुपोषण का स्तर अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच जाएगा। कई बच्चों को काबुल के इंदिरा गांधी अस्पताल में तत्काल उपचार के लिए भर्ती कराया गया है।
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, 47 लाख से ज्यादा महिलाओं और बच्चों को तत्काल देखभाल की जरूरत है। यूएन अधिकारी ने चेतावनी दी है कि यदि समय पर हस्तक्षेप नहीं किया गया, तो बढ़ते कुपोषण से कई की मौत होगी और इसका नकारात्मक असर लंबे समय तक देश पर पड़ेगा।
अफगानिस्तान आर्थिक पतन और सूखे से जूझ रहा है, और इसे अंतर्राष्ट्रीय मदद भी कुछ खास नहीं मिल रही है। बेरोजगारी और गरीबी ने कई अफगान परिवारों को भुखमरी के कगार पर ला खड़ा किया है।
मानवीय संगठनों ने बार-बार अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से सहायता बढ़ाने का आह्वान किया है, और चेतावनी दी है कि गंभीर स्थिति को देखते हुए वर्तमान स्तर अपर्याप्त है।
खामा प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त की शुरुआत में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने चेतावनी दी थी कि अफगानिस्तान में मानवीय संकट गहराता जा रहा है और 2.2 करोड़ से ज्यादा लोगों को तत्काल सहायता की आवश्यकता है।
28 अगस्त को जारी की गई अपनी नवीनतम रिपोर्ट में, डब्ल्यूएचओ ने कहा कि 2025 तक 1.6 करोड़ से ज्यादा अफगानों को जीवन रक्षक सहायता की जरूरत होगी, फिर भी अभी तक केवल 24 प्रतिशत ही आवश्यक धनराशि प्राप्त हो पाई है।
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि धन संकट के कारण 420 से ज्यादा स्वास्थ्य केंद्रों को बंद करना पड़ा है, जिससे लगभग 30 लाख लोग आवश्यक चिकित्सा सुविधाओं से वंचित हो गए हैं। इन प्रतिबंधों का सबसे ज्यादा असर महिलाओं और बच्चों सहित कमजोर समूहों पर पड़ा है।