क्या बांग्लादेश की अवामी लीग ने न्यायपालिका के फैसले पर आपत्ति जताई?

सारांश
Key Takeaways
- न्यायपालिका पर अवामी लीग का आरोप
- 2004 के ढाका ग्रेनेड हमले के आरोपी बरी
- अवामी लीग का भविष्य में संघर्ष जारी रखने का संकल्प
ढाका, 5 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। बांग्लादेश की अवामी लीग पार्टी ने शुक्रवार को देश की न्यायपालिका के कथित दुरुपयोग की कड़ी निंदा की और कहा कि अदालत ने ‘नरसंहार की अमानवीय और साजिशनुमा राजनीति’ को वैधता प्रदान की है।
यह प्रतिक्रिया उस फैसले के बाद आई, जिसमें बांग्लादेश की सर्वोच्च अदालत ने गुरुवार को 2004 के ढाका ग्रेनेड हमले के मामले में 49 आरोपियों को बरी करने के हाईकोर्ट के 2024 के आदेश को बरकरार रखा। बरी होने वालों में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के कार्यकारी अध्यक्ष तारिक रहमान और पूर्व राज्य मंत्री लुत्फोज्जमान बाबर भी शामिल हैं।
अवामी लीग ने अपने बयान में कहा, “आज के बांग्लादेश में अदालतें न्याय की रक्षा नहीं कर रहीं, बल्कि न्याय चाहने वालों के अधिकारों को कुचल रही हैं। न्यायपालिका का इस्तेमाल कर नरसंहार में शामिल आरोपियों को मुक्त कर दिया गया। यह कितना निर्मम और निर्दयी कदम है! अब सवाल है कि इस भयावह घटना में निर्दोष जानें किसकी जिम्मेदारी से गईं? इसका उत्तर अदालत को देना होगा।”
पार्टी ने आगे कहा, “यह फैसला न केवल न्याय के खिलाफ है बल्कि हत्या और साजिश की राजनीति को वैध ठहराने वाला काला संकेत है। न्यायपालिका की छवि को ध्वस्त कर मानवता के सामने एक अभूतपूर्व और शर्मनाक इतिहास रचा गया है। हत्यारों को मुक्त करने के लिए अदालत का इस्तेमाल लोकतंत्र, न्याय और मानवाधिकारों का क्रूर मजाक है।”
गौरतलब है कि 21 अगस्त 2004 को बीएनपी और कट्टरपंथी जमाते इस्लामी की गठबंधन सरकार के दौरान अवामी लीग की एक रैली को निशाना बनाकर ढाका के बंगबंधु एवेन्यू पर ग्रेनेड हमला किया गया था। इस हमले में विपक्ष की तत्कालीन नेता शेख हसीना मुख्य लक्ष्य थीं। इसमें 24 लोगों की मौत हुई थी और सैकड़ों घायल हुए थे, जिनमें कई आज भी शरीर में ग्रेनेड के टुकड़े लिए असहनीय पीड़ा झेल रहे हैं।
अवामी लीग ने चेतावनी दी कि अगस्त 2004 के इस नरसंहार पर दिया गया ‘फर्जी फैसला’ बांग्लादेश को ‘गहरे अंधकार’ की ओर धकेल देगा। इससे राज्य की कार्यप्रणाली, न्याय व्यवस्था और नागरिकों के अधिकारों पर जनता का भरोसा पूरी तरह खत्म हो जाएगा।
पार्टी ने कहा, “यह मनगढ़ंत फैसला देश के दयालु और मानवीय भावनाओं को आहत और क्रोधित करने वाला है। लोकतांत्रिक और मानवतावादी जनता के साथ हमारा संघर्ष जारी रहेगा और एक दिन वह सुनहरा सवेरा आएगा, जब न्याय से वंचित लोग न्याय पाएंगे।”