क्या बलूचिस्तान में दो छात्रों का जबरन गुमशुदा होना मानवाधिकारों का उल्लंघन है?

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क्या बलूचिस्तान में दो छात्रों का जबरन गुमशुदा होना मानवाधिकारों का उल्लंघन है?

सारांश

बलूचिस्तान में दो और बलूच छात्रों का जबरन गुमशुदा होना मानवाधिकारों के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गया है। यह घटनाएं क्षेत्र में बढ़ते अत्याचारों को दर्शाती हैं, और मानवाधिकार संगठनों ने इस पर कड़ी निंदा की है। क्या यह राज्य द्वारा बलूच लोगों का दमन है?

Key Takeaways

  • बलूचिस्तान में हाल के अपहरण की घटनाएं चिंताजनक हैं।
  • मानवाधिकार संगठनों ने इन घटनाओं की कड़ी निंदा की है।
  • गुमशुदा छात्रों के परिवारों ने न्याय की मांग की है।
  • राज्य द्वारा बलूच लोगों का दमन जारी है।
  • अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

क्वेटा, 30 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बलूचिस्तान में पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियों द्वारा दो और बलूच छात्रों का जबरन गायब होना एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है। यह घटनाएं उस क्षेत्र में बढ़ती हुई गुमशुदगी की घटनाओं के संदर्भ में देखी जा रही हैं। यह जानकारी एक प्रमुख मानवाधिकार संगठन द्वारा साझा की गई है।

बलूच नेशनल मूवमेंट के मानवाधिकार विभाग पांक ने बताया कि 28 अक्टूबर को 17 वर्षीय बेजान और 19 वर्षीय जहांजेब को उनके घरों से उठाया गया। दोनों छात्र वाशुक जिले के निवासी हैं और अब तक उनका कोई पता नहीं चला है। ये दोनों इस प्रकार की नवीनतम घटनाओं का हिस्सा बने हैं।

स्थानीय स्रोतों के अनुसार, पांक ने जानकारी दी कि पाकिस्तान की काउंटर टेररिज्म डिपार्टमेंट (सीटीडी) और इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) की टीमों ने मिलकर छापेमारी की। इसी दौरान ये दोनों छात्र जबरन ले जाए गए। उनके अपहरण के बाद से अब तक कोई जानकारी नहीं मिली है कि वे कहां हैं।

बलूचिस्तान में बढ़ते अत्याचारों को उजागर करते हुए, एक अन्य मानवाधिकार संगठन, बलूच वॉयस फॉर जस्टिस (बीवीजे), ने चार युवा बलूच छात्रों के जबरन गुमशुदा होने की घटनाओं की कड़ी निंदा की।

बीवीजे के अनुसार, 23 अक्टूबर को पाकिस्तान की फ्रंटियर कोर और सैन्य खुफिया एजेंसियों ने केच जिले के मांड इलाके से हमूद, हारून और फहद बलूच को उठाया। इसके अलावा, 17 अक्टूबर को पंजगुर जिले से एक अन्य छात्र आसिम नवाज को भी जबरन ले जाया गया।

संगठन ने कहा, "ये अपहरण यह दर्शाते हैं कि राज्य द्वारा बलूच लोगों का दमन जारी है। नाबालिगों और छात्रों को निशाना बनाना यह दिखाता है कि अपराध योजनाबद्ध तरीके से किए जा रहे हैं।"

बीवीजे ने अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों और संयुक्त राष्ट्र से अपील की है कि वे इन मामलों को तुरंत देखें और पाकिस्तान पर दबाव डालें ताकि वह जबरन लोगों को गुमशुदा करने की अपनी नीति को बंद करे।

इसी बीच, मांड के परिवारों और स्थानीय लोगों ने अपने अपहृत रिश्तेदारों की वापसी की मांग करते हुए धरना दिया। पांक ने कहा, "बलूचिस्तान में अपहरण और गुप्त हिरासत के मामलों में न्याय और जवाबदेही की लगातार अनदेखी करना मौलिक मानवाधिकारों और अंतरराष्ट्रीय कानून का गंभीर उल्लंघन है।"

पांक ने आगे कहा, 'हम प्रभावित परिवारों के साथ हैं और सत्य, न्याय और सभी गुमशुदा लोगों की तुरंत रिहाई की मांग करते हैं। इसमें 23 अक्टूबर को उठाए गए फहद, हामूद और हारुन भी शामिल हैं। केवल वादे करना और पारदर्शी कार्रवाई न होना पीड़ितों के लिए बार-बार धोखा साबित हुआ है और इससे समुदाय में अविश्वास और मानसिक पीड़ा बढ़ रही है।'

पांक ने पाकिस्तान की सरकार से अपील की कि वह जबरन लोगों को गुमशुदा करने की प्रथा बंद करे। सभी लापता लोगों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित की जाए और अपराधियों को जिम्मेदार ठहराया जाए।

Point of View

NationPress
30/10/2025

Frequently Asked Questions

बलूचिस्तान में छात्रों का गायब होना क्यों बढ़ रहा है?
बलूचिस्तान में छात्रों का गायब होना सुरक्षा एजेंसियों द्वारा जबरन गुमशुदगी की घटनाओं का एक हिस्सा है, जो राज्य द्वारा बलूच लोगों के दमन का संकेत है।
मानवाधिकार संगठन इस पर क्या कह रहे हैं?
मानवाधिकार संगठन बलूच छात्रों के अपहरण की कड़ी निंदा कर रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इन मामलों की जांच करने की अपील कर रहे हैं।