क्या बांग्लादेश ने 26 लोगों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया?

सारांश
Key Takeaways
- आईसीटी ने 26 लोगों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया।
- अबू सईद की हत्या 16 जुलाई 2024 को हुई थी।
- पुलिस ने चार आरोपियों को हिरासत में लिया है।
- जांच में 30 लोगों की संलिप्तता पाई गई है।
- यह मामला छात्रों के अधिकारों से संबंधित है।
ढाका, 30 जून (राष्ट्र प्रेस)। बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (आईसीटी) ने जुलाई 2024 में हुए छात्र विरोध प्रदर्शनों के दौरान एक छात्र की हत्या के मामले में सोमवार को 26 लोगों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। इनमें बेगम रोकेया विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति हसीबुर राशिद भी शामिल हैं।
तीन सदस्यीय ट्रिब्यूनल की अध्यक्षता न्यायमूर्ति मोहम्मद नजरुल इस्लाम चौधरी ने की। ट्रिब्यूनल ने अबू सईद की हत्या से संबंधित मामले में 30 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करते हुए यह आदेश जारी किया।
स्थानीय समाचारों के अनुसार, जिन चार आरोपियों को पहले ही हिरासत में लिया गया है, उनमें विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोएक्टर शरीफुल इस्लाम, पुलिस के पूर्व सहायक उप-निरीक्षक आमिर हुसैन, कांस्टेबल सुजान चंद्र रॉय और बांग्लादेश छात्र लीग के नेता इमरान चौधरी शामिल हैं।
अबू सईद की हत्या 16 जुलाई 2024 को रंगपुर में बेगम रोकेया विश्वविद्यालय के पास पुलिस की गोलीबारी में हुई थी। यह घटना सरकारी नौकरियों में कोटा प्रणाली में सुधार की मांग को लेकर चल रहे उग्र छात्र आंदोलनों के दौरान हुई थी। कहा जा रहा है कि सईद पहले छात्र थे, जिनकी मौत रंगपुर में पुलिस की कार्रवाई से हुई।
सईद के बड़े भाई रमज़ान अली ने आईसीटी के अभियोजन विंग में शिकायत दर्ज कराते हुए पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना सहित 24 अन्य लोगों के खिलाफ आरोप लगाए हैं।
गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आईसीटी अभियोजक मिजानुल इस्लाम ने बताया कि जांच एजेंसी ने इस मामले में कुल 30 लोगों की संलिप्तता के सबूत पाए हैं।
मामले में तत्कालीन पुलिस शिविर प्रभारी, उप निरीक्षक विभूति भूषण रॉय द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में कहा गया है कि सईद पुलिस फायरिंग का शिकार नहीं हुए। रिपोर्ट में लिखा है, "प्रदर्शनकारियों ने हथियार चलाए और कई दिशाओं से ईंट-पत्थर फेंके। इसी दौरान एक छात्र जमीन पर गिरता देखा गया।"
पूर्व सब-इंस्पेक्टर ने यह भी दावा किया कि इस घटना में 2,000-3,000 अज्ञात लोग शामिल थे, जिनमें बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और जमात-ए-इस्लामी के कार्यकर्ता भी हो सकते हैं।