क्या बांग्लादेश में डेंगू का प्रकोप बढ़ रहा है? 24 घंटों में 1,147 नए मामले सामने आए
सारांश
Key Takeaways
- बांग्लादेश में डेंगू का प्रकोप गंभीर स्थिति में है।
- पिछले 24 घंटों में 1,147 नए मामले सामने आए।
- डेंगू का कोई विशेष इलाज नहीं है।
- मच्छरों से बचाव के उपाय अपनाना आवश्यक है।
- डेंगू के लक्षणों की पहचान समय पर करना जरूरी है।
ढाका, 4 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। बांग्लादेश में डेंगू का प्रकोप जारी है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, पिछले 24 घंटों में डेंगू के 1,147 नए मामले और 5 नई मौतें दर्ज की गई हैं।
आंकड़ों के मुताबिक, नवंबर में अब तक डेंगू के 2,960 मामले सामने आए हैं, जिससे इस वर्ष अब तक कुल 72,822 मामले और 288 मौतें हो चुकी हैं।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, बांग्लादेश में आमतौर पर डेंगू फैलने का मौसम जून से सितंबर तक माना जाता है, लेकिन अब यह बीमारी अपने सामान्य समय से बाहर भी फैल रही है। रिपोर्ट के अनुसार, डेंगू अब मानसून के बाद भी बढ़ रहा है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, डेंगू एक वायरल संक्रमण है जो संक्रमित मच्छरों के काटने से मनुष्यों में फैलता है। यह दुनिया भर में उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु में, ज्यादातर शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में पाया जाता है। इस बीमारी के मुख्य वाहक एडीज एजिप्टी और कुछ हद तक एडीज एल्बोपिक्टस मच्छर हैं।
डेंगू का कोई विशेष इलाज नहीं है, लेकिन समय पर पहचान, गंभीर लक्षणों की पहचान और सही देखभाल से मृत्यु दर को 1 प्रतिशत से कम किया जा सकता है।
डेंगू पहली बार 1960 के दशक में बांग्लादेश में दर्ज किया गया था और इसे "ढाका बुखार" के नाम से जाना जाता था। 2010 से यह बीमारी मई से सितंबर के बारिश के मौसम में बढ़ती है। अधिक बारिश, जलभराव, बाढ़, तापमान में वृद्धि और मौसम के असामान्य बदलाव के कारण डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों के फैलने के लिए अनुकूल स्थिति बन रही है।
बांग्लादेश में डेंगू एक स्थायी (एंडेमिक) बीमारी है और बार-बार महामारी का रूप लेती है। यह देश की प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। डेंगू वायरस महामारी का कारण बन सकता है, जिससे बीमारी और मौतें बढ़ती हैं।
बांग्लादेश में 2016 तक डेंगू वायरस के सभी चार सीरोटाइप पाए गए हैं। 2016 तक डीईएनवी-1 और डीईएनवी-2 प्रमुख थे। 2019 में सबसे बड़ा प्रकोप हुआ, जब डीईएनवी-3 मुख्य था। इस वर्ष डीईएनवी-2 फिर से प्रमुख सेरोटाइप बन गया है।