क्या बांग्लादेश में शेख हसीना के खिलाफ एक और मामला 9 दिसंबर को होगा?
सारांश
Key Takeaways
- शेख हसीना को मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए सजा-ए-मौत मिली है।
- एक और सुनवाई 9 दिसंबर को होने वाली है।
- आईसीटी ने 13 पूर्व और मौजूदा सेना अधिकारियों को भी आरोपी बनाया है।
- यह मामला बांग्लादेश की राजनीतिक स्थिरता को प्रभावित कर सकता है।
- हसीना ने अपनी सजा को राजनीतिक रूप से प्रेरित बताया है।
ढाका, 7 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ अदालत ने दो महत्वपूर्ण फैसले सुनाए हैं। इनमें से एक निर्णय आईसीटी यानी अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय द्वारा दिया गया है, जिसमें उन्हें मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए सजा-ए-मौत का दंड सुनाया गया। वहीं, दूसरे मामले में उन्हें भ्रष्टाचार के लिए 5 साल की सजा सुनाई गई। इस सिलसिले में 9 दिसंबर को एक और सुनवाई होने वाली है, जैसा कि स्थानीय मीडिया ने बताया।
आईसीटी ने हसीना के साथ-साथ 13 पूर्व और मौजूदा सेना अधिकारियों को भी आरोपी बनाया है। अवामी लीग के लंबे कार्यकाल के दौरान आयनाघोर सेल में मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए इनकी जिम्मेदारी तय की गई है, और मंगलवार को सुनवाई होगी।
जैसा कि ढाका ट्रिब्यून ने बताया, अभियोजन पक्ष ने औपचारिक रूप से मामले तय कर अपनी सुनवाई पूरी कर ली है, और मंगलवार को ट्रिब्यूनल बचाव पक्ष की दलीलें सुनेगा।
जस्टिस एमडी गोलाम मुर्तुजा मजूमदार की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय आईसीटी-1 बेंच ने रविवार को तारीख निर्धारित की।
मुख्य अभियोजक मोहम्मद ताजुल इस्लाम ने अभियोजन पक्ष की ओर से पेश होकर आयनाघोर सेल में सरकार विरोधी गुटों से जुड़े लोगों के गायब होने और यातना की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की।
उन्होंने 22 अक्टूबर, 2015 और 5 अगस्त, 2024 के बीच 26 लोगों के अगवा होने का उल्लेख किया। मुख्य अभियोजक ने पांच मामले दायर किए और ट्रिब्यूनल से 13 आरोपियों के खिलाफ चार्ज तय करने या मुकदमा शुरू करने की अपील की।
गिरफ्तार किए गए 13 में से तीन आर्मी अधिकारी हैं। उन्हें रविवार सुबह ढाका कैंटोनमेंट की विशेष जेल से कड़ी सुरक्षा में पेश किया गया। इन अधिकारियों में डीजीएफआई के पूर्व निदेशक मेजर जनरल शेख मोहम्मद सरवर हुसैन, ब्रिगेडियर जनरल मोहम्मद महबूबुर रहमान सिद्दीकी और ब्रिगेडियर जनरल अहमद तनवीर मजहर सिद्दीकी शामिल हैं।
आईसीटी की स्थापना मूल रूप से 1971 के युद्ध अपराधों के लिए की गई थी, लेकिन इसके दायरे को 2024-25 में बढ़ाया गया।
यह हसीना के खिलाफ तीसरा प्रमुख मामला है। पहले मामले में, जुलाई 2024 के छात्र आंदोलन के दौरान मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए 17 नवंबर 2025 को उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई थी। हसीना ने इसे राजनीतिक रूप से प्रेरित बताया था। इसके बाद पूर्वांचल जमीन घोटाले में अपने परिवार के अन्य लोगों के साथ दोषी ठहराई गईं, जिसमें उन्हें 5 साल की सजा सुनाई गई।