क्या बांग्लादेश में हालात अच्छे नहीं हैं? जानबूझकर लोगों को उकसाया जा रहा है: पूर्व मंत्री मोहिबुल हसन चौधरी (आईएएनएस इंटरव्यू)
सारांश
Key Takeaways
- बांग्लादेश में राजनीतिक स्थिति बेहद तनावपूर्ण है।
- पूर्व मंत्री मोहिबुल हसन चौधरी का कहना है कि यह सरकार की चाल है।
- भारत के खिलाफ प्रदर्शन केवल कुछ शहरों तक सीमित हैं।
- शरीफ उस्मान हादी की हत्या एक साजिश का हिस्सा लगती है।
- चुनावों में देरी की संभावना है यदि स्थिति अस्थिर रहती है।
ढाका, 21 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। बांग्लादेश वर्तमान में बेहद कठिन परिस्थितियों से गुजर रहा है। आगजनी और दंगों की घटनाएं लगातार खबरों में आ रही हैं। पूर्व मंत्री मोहिबुल हसन चौधरी ने बांग्लादेश की स्थिति को "तनावपूर्ण और अस्थिर" बताया है। उनका कहना है कि यह अंतरिम सरकार की रणनीति है, जो आगामी चुनावों से पहले कुछ चरमपंथी समूहों को समर्थन या उकसाने का काम कर रही है।
रविवार को राष्ट्र प्रेस के साथ एक विशेष बातचीत में चौधरी ने कहा कि भारत के खिलाफ प्रदर्शन केवल ढाका और चटगांव के कुछ हिस्सों तक सीमित हैं, और पूरे देश में भारत के प्रति कोई व्यापक भावना नहीं है। उन्होंने इन प्रदर्शनों को "स्टेज किया हुआ" करार दिया। इंकलाब मंच के नेता शरीफ उस्मान हादी की हत्या के कारणों पर भी अपनी राय व्यक्त की।
राष्ट्र प्रेस: वर्तमान में बांग्लादेश की स्थिति कैसी है?
मोहिबुल हसन चौधरी: बांग्लादेश में स्थिति बहुत तनावपूर्ण है, विशेषकर राजधानी ढाका और चटगांव में, क्योंकि इसे सत्ताधारी सरकार का सहारा मिल रहा है। वे रोजाना कुछ चरमपंथी पार्टियों और संगठनों को उकसा रहे हैं। ऐसे में, चुनाव नजदीक आने के साथ स्थिति और अस्थिर होती जा रही है।
राष्ट्र प्रेस: शरीफ उस्मान हादी की हत्या पर आपकी क्या राय है?
मोहिबुल हसन चौधरी: हत्या के पीछे की सच्चाई का पता लगाना कठिन है, लेकिन जो जानकारी हमें मिली है, उसके अनुसार यह एक सोची-समझी कार्रवाई प्रतीत होती है। हादी के कई दुश्मन थे, खासकर बीएनपी और जमात-ए-इस्लामी में।
हादी की हत्या से पहले उनके खिलाफ कई राजनीतिक बयान भी सामने आए थे। ऐसा लगता है कि यह सब एक साजिश का हिस्सा है।
राष्ट्र प्रेस: क्या बांग्लादेश में चुनाव और हादी की हत्या के बीच कोई संबंध है?
मोहिबुल हसन चौधरी: ऐसा प्रतीत होता है कि अगर वे इस अस्थिरता को बनाए रख सकते हैं, तो चुनाव समय पर नहीं हो पाएंगे। चुनाव रमजान से ठीक पहले आयोजित होने वाले हैं, और अगर इसमें देरी की जाती है, तो इसका सीधा असर मतदान पर पड़ेगा।