क्या बांग्लादेश के प्रवासियों ने इटली की पीएम मेलोनी को पत्र लिखकर यूनुस सरकार में हो रही हिंसा पर चिंता जताई?

सारांश
Key Takeaways
- बांग्लादेश में राजनीतिक अराजकता का सामना कर रहे हैं।
- अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा में वृद्धि हुई है।
- बांग्लादेशी प्रवासियों ने इटली की सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है।
- पत्र में यूनुस सरकार की निंदा की गई है।
- अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मानवाधिकारों की रक्षा के लिए कदम उठाने की आवश्यकता है।
रोम, 11 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद से अराजकता की स्थिति उत्पन्न हो गई है। हाल के समय में बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा में वृद्धि हुई है। इसी बीच, बांग्लादेशी प्रवासियों ने इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी और उप प्रधानमंत्री एंटोनियो ताजानी को एक पत्र भेजा है।
बांग्लादेशी प्रवासियों ने पत्र में बांग्लादेश में "स्वतंत्र" और "लोकतांत्रिक राजनीतिक संस्कृति" पर मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार द्वारा किए गए हमलों की निंदा की।
इटली में बांग्लादेशी समुदाय के लोगों ने दो अलग-अलग चिट्ठियों में एक ही संदेश दिया। उन्होंने यूनुस सरकार को "अनिर्वाचित" बताया और कहा कि यह लोकतांत्रिक जनादेश से रहित है।
लोगों ने अंतरिम सरकार पर बार-बार चुनावों को स्थगित करने और अवामी लीग पर प्रतिबंध लगाने का आरोप लगाया, जिसके कारण बांग्लादेशी नागरिकों को उनके मताधिकार से वंचित किया गया है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि ऐसे हालात में कोई भी चुनाव "स्वतंत्र, निष्पक्ष या पूरी तरह से सहभागी" नहीं हो सकता।
पत्र में लिखा गया है, "यूनुस के शासन में, राजनीतिक उत्पीड़न व्याप्त है। अवामी लीग के निर्दोष सदस्य और समर्थक न्यायपालिका द्वारा भेदभाव, हिंसक हमलों और निराधार, राजनीति से प्रेरित आरोपों का शिकार हुए हैं। अंतरिम प्रशासन के सत्ता में आने के बाद से अवामी लीग के सैकड़ों सदस्यों को मनमाने ढंग से हिरासत में लिया गया है और 200 से अधिक समर्थकों की हत्या की गई है। इसका उद्देश्य स्पष्ट है: असहमति को दबाना और अवामी लीग को राजनीतिक परिदृश्य से मिटा देना।"
लोगों ने यह भी आरोप लगाया है कि "यूनुस सरकार के दौरान हिंसक अपराध, लूटपाट, डकैती, बलात्कार और हत्या के मामले चरम पर हैं। इनमें लिंचिंग के 600 से अधिक मामले और यातना के 2,500 से अधिक मामले शामिल हैं। इनमें से ज्यादातर घटनाएं धार्मिक कारणों से प्रेरित थीं। कट्टरपंथी और कुछ मामलों में आतंकवादी समूहों के हाथों हिंदू, बौद्ध और ईसाई सहित धार्मिक अल्पसंख्यक हिंसा और उत्पीड़न का शिकार हो रहे हैं।