क्या भारत के लिए बोत्सवाना की राष्ट्र-निर्माण यात्रा में भागीदार होना सम्मान की बात है?
सारांश
Key Takeaways
- भारत और बोत्सवाना के बीच गहरे रिश्ते की आवश्यकता है।
- अफ्रीका की युवा जनसंख्या वैश्विक अर्थव्यवस्था में योगदान दे सकती है।
- साझेदारी में शिक्षा, स्वास्थ्य और कृषि जैसे क्षेत्र शामिल हैं।
- बोत्सवाना की राष्ट्र-निर्माण यात्रा में भारत का योगदान महत्वपूर्ण है।
नई दिल्ली, १२ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गैबोरोन में बोत्सवाना की राष्ट्रीय सभा को संबोधित करते हुए कहा कि भारत और बोत्सवाना मिलकर एक न्यायसंगत और टिकाऊ वैश्विक व्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान कर सकते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि अफ्रीका अपनी युवा जनसंख्या और विशाल प्राकृतिक संसाधनों के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था के विकास को तेज़ी से आगे बढ़ा सकता है।
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि भारत बोत्सवाना के साथ सभी क्षेत्रों में अपनी साझेदारी को और गहरा करने तथा अपने विकास अनुभव को साझा करने के लिए दृढ़ संकल्पित है। उन्होंने अफ्रीका को भविष्य का महाद्वीप करार देते हुए कहा कि इसकी युवा जनसंख्या और प्राकृतिक संसाधन वैश्विक अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि हमें अपने लोगों, विशेषकर युवाओं की आकांक्षाओं के प्रति संवेदनशील रहना चाहिए। बोत्सवाना की राष्ट्र-निर्माण यात्रा में भागीदार होना भारत के लिए गर्व की बात है। हमारा सहयोग शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रौद्योगिकी, कृषि, रक्षा, व्यापार और निवेश जैसे कई क्षेत्रों में फैला हुआ है।
राष्ट्रपति ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद से बोत्सवाना के मेहनती नागरिकों और दूरदर्शी नेताओं ने एक ऐसा राष्ट्र बनाया है, जो शांति, स्थिरता और समावेशी विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के लिए सदैव तत्पर है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू अफ्रीकी देशों की छह दिवसीय यात्रा पर हैं, जिसमें चार दिन की अंगोला यात्रा के बाद अब वे बोत्सवाना के दो दिवसीय दौरे पर हैं।
इस यात्रा के दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गैबोरोन में राष्ट्रपति कार्यालय में महत्वपूर्ण बैठक की। इस बैठक में बोत्सवाना गणराज्य के राष्ट्रपति ड्यूमा गिदोन बोको ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायवाल ने यह जानकारी दी।
दोनों नेताओं ने व्यापार, निवेश, कृषि, नवीकरणीय ऊर्जा, स्वास्थ्य, शिक्षा, कौशल विकास, रक्षा और डिजिटल प्रौद्योगिकी जैसे प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की। उन्होंने प्रोजेक्ट चीता के तहत भारत में चीता भेजने पर सहमति जताने के लिए राष्ट्रपति बोको और बोत्सवाना के लोगों का धन्यवाद किया।