क्या भारत ने 'भविष्य के लिए संधि' को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जताई?

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क्या भारत ने 'भविष्य के लिए संधि' को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जताई?

सारांश

भारत ने न्यूयॉर्क में 'भविष्य के लिए संधि' के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की है। इस संवाद में वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए सहयोग का महत्व बताया गया। क्या ये प्रयास भविष्य में अंतरराष्ट्रीय संबंधों को प्रभावित करेंगे?

Key Takeaways

  • भारत ने 'भविष्य के लिए संधि' के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई।
  • ग्लोबल डिजिटल कॉम्पैक्ट और भविष्य की पीढ़ियों के घोषणापत्र को अपनाया गया।
  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया गया।
  • आधुनिक अंतरराष्ट्रीय सहयोग की दिशा में प्रयास जारी हैं।
  • सतत विकास के लिए एकीकृत नरैटिव बनाने की आवश्यकता।

न्यूयॉर्क, 18 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। भारत ने 'भविष्य के लिए संधि' (पैक्ट फॉर द फ्यूचर) और इससे संबंधित दस्तावेजों—ग्लोबल डिजिटल कॉम्पैक्ट (जीडीसी) तथा भविष्य की पीढ़ियों पर घोषणापत्र के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है। यह बयान तीसरे अनौपचारिक संवाद के दौरान दिया गया, जो इस समझौते की समीक्षा के लिए आयोजित किया गया था।

भारत ने इस पहल को वैश्विक समुदाय के उभरती और दीर्घकालिक चुनौतियों से निपटने के सामूहिक प्रयासों में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। भारत ने समावेशी और दूरदर्शी अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के महत्व पर जोर दिया।

गुरुवार को आयोजित इस अनौपचारिक संवाद का उद्देश्य सदस्य देशों को एक मंच प्रदान करना था, जहां वे अपने विचार साझा कर सकें और अनुभवों का आदान-प्रदान कर सकें। यह चर्चा 2028 तक 'भविष्य के लिए संधि' (पैक्ट फॉर द फ्यूचर) को ध्यान में रखकर की गई।

22 सितंबर 2024 को शिखर सम्मेलन में विश्व नेताओं ने 'भविष्य के लिए संधि' और इसके साथ जुड़े दस्तावेज—ग्लोबल डिजिटल कॉम्पैक्ट और भविष्य की पीढ़ियों पर घोषणापत्र—को अपनाया था।

यह ऐतिहासिक समझौता वर्षों की समावेशी बातचीत और सहयोग का परिणाम है, जिसका लक्ष्य अंतरराष्ट्रीय सहयोग को आधुनिक बनाना और आज की वास्तविकताओं का सामना करने के साथ-साथ भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार होना है।

भारत के संयुक्त राष्ट्र में स्थायी प्रतिनिधि पर्वतनेनी हरीश ने सत्र को संबोधित करते हुए कहा, "भारत का मानना है कि 2028 की समीक्षा परिणाम आधारित और भविष्य की ओर देखने वाली होनी चाहिए। हमें विशेष रूप से महत्वपूर्ण सुधार क्षेत्रों, जैसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के विस्तार और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संरचना सुधार पर ध्यान देना चाहिए, जहां प्रगति अपर्याप्त रही है।"

उन्होंने कहा, "सुरक्षा परिषद सुधारों के संबंध में अधिकांश देश इस बात पर सहमत हैं कि परिषद को वर्तमान भू-राजनीतिक वास्तविकताओं को दर्शाना चाहिए। इससे परिषद की विश्वसनीयता, वैधता और प्रभावशीलता बढ़ेगी। 79वें सत्र के दौरान इंटरगवर्नमेंटल नेगोशिएशन (आईजीएन) बिना किसी ठोस प्रगति के समाप्त हो गया। ऐसे में सदस्य देशों को वास्तविक सुधारों के लिए अपने प्रयास और तेज करने होंगे। साथ ही उन देशों के प्रयासों का विरोध करना होगा जो स्थिति को जस का तस बनाए रखना चाहते हैं। अब जरूरी है कि जल्द से जल्द एक ठोस मसौदे पर बातचीत शुरू की जाए।"

हरीश ने जोर देकर कहा कि भारत प्रभाव को अधिकतम करने और दोहराव से बचने के लिए रणनीतिक समन्वय का दृढ़ता से समर्थन करता है।

उन्होंने कहा, "आदर्श रूप से, यूएन@80 के लक्ष्यों को 'भविष्य के लिए संधि' के ढांचे का हिस्सा बनाया जाना चाहिए था और इन्हें पिछले साल सदस्य देशों के बीच हुई बातचीत में शामिल किया जाना चाहिए था। हालांकि, अब आगे बढ़ते हुए हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पैक्ट का कार्यान्वयन और समीक्षा यूएन@80 पहल के अनुरूप हो।"

भारत ने कहा कि 2028 में होने वाली पैक्ट की समीक्षा को 2027 के एसडीजी शिखर सम्मेलन के परिणामों के साथ जोड़ा जाना चाहिए, ताकि सतत विकास की प्रगति पर एक एकीकृत नरैटिव बनाया जा सके।

राजदूत हरीश ने कहा, "हमें क्षेत्रीय समीक्षाओं, जैसे चौथे अंतरराष्ट्रीय वित्तपोषण सम्मेलन, विश्व सामाजिक शिखर सम्मेलन, डब्ल्यूएसआईएस प्लस 20 समीक्षा और शांति निर्माण संरचना समीक्षा सहित क्षेत्रीय समीक्षाओं पर भी काम करना चाहिए। साथ ही हाई-लेवल पॉलिटिकल फोरम और ईसीओएसओसी जैसे मौजूदा तंत्रों का भी लाभ उठाना चाहिए।"

भारत ने जी20, डब्ल्यूटीओ, विश्व बैंक और आईएमएफ के भीतर चल रही प्रक्रियाओं के साथ तालमेल और पूरकता की भी मांग की, खासकर सतत वित्तपोषण और निष्पक्ष व समान वैश्विक वित्तीय संरचना के संदर्भ में।

हरीश ने कहा, "भारत मानता है कि जिन प्रक्रियाओं और समीक्षाओं का जिक्र किया गया है, उन्हें 2028 में होने वाली 'भविष्य के लिए संधि' की समीक्षा के ढांचे और विषय-वस्तु में शामिल किया जाना चाहिए। 2028 की समीक्षा केवल एक मूल्यांकन प्रक्रिया न होकर आगे के क्रियान्वयन के लिए ठोस कदमों की दिशा तय करने वाली होनी चाहिए। हमें सुरक्षा परिषद सुधार के लिए स्पष्ट लक्ष्य और टाइमलाइन के साथ टेक्स्ट-आधारित बातचीत शुरू करने की जरूरत है।"

हरीश ने आगे कहा कि ग्लोबल डिजिटल कॉम्पैक्ट (जीडीसी) के क्रियान्वयन का एक अहम परिणाम यह है कि संयुक्त राष्ट्र के ढांचे के तहत एक स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक पैनल और एआई गवर्नेंस पर वैश्विक संवाद स्थापित करने का निर्णय है।

हरीश ने कहा, "हम चल रही वार्ताओं के सफल समापन और आम सहमति के आधार पर तौर-तरीकों के प्रस्ताव को अपनाने की आशा करते हैं। भारत संधि और उसके अनुबंधों के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए सभी हितधारकों के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध है और इस संबंध में निरंतर संवाद और ब्रीफिंग की आशा करता है।

Point of View

जिससे यह सिद्ध होता है कि वह वैश्विक स्तर पर सहयोग को महत्व देता है। यह कदम न केवल भारत के लिए, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए भी महत्वपूर्ण है।
NationPress
18/07/2025

Frequently Asked Questions

भारत ने 'भविष्य के लिए संधि' में क्या कहा?
भारत ने इस संधि और इसके दस्तावेजों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है।
यह संवाद कब आयोजित किया गया?
यह संवाद 18 जुलाई को न्यूयॉर्क में आयोजित किया गया।
भारत का क्या मानना है इस संधि के संदर्भ में?
भारत का मानना है कि यह वैश्विक चुनौतियों के सामूहिक प्रयासों में एक महत्वपूर्ण कदम है।