क्या भारत ने म्यांमार में 62वां आईटीईसी दिवस मनाया?

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क्या भारत ने म्यांमार में 62वां आईटीईसी दिवस मनाया?

सारांश

नेपीडॉ में 62वां आईटीईसी दिवस मनाने का यह समारोह भारत-म्यांमार संबंधों को और मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। इसमें विभिन्न मंत्रालयों के वरिष्ठ प्रतिनिधियों की उपस्थिति और आईटीईसी कार्यक्रम की उपलब्धियों पर चर्चा की गई। जानें इस समारोह की खास बातें और भारत की म्यांमार के प्रति प्रतिबद्धता।

Key Takeaways

  • आईटीईसी कार्यक्रम का उद्देश्य तकनीकी और आर्थिक सहयोग बढ़ाना है।
  • म्यांमार के विकास में भारत की भूमिका महत्वपूर्ण है।
  • इस वर्ष 62वां आईटीईसी दिवस मनाया गया।
  • भारत और म्यांमार के बीच सांस्कृतिक संबंध मजबूत हो रहे हैं।
  • आईटीईसी कार्यक्रम में बढ़ती संख्या में प्रतिभागियों की भागीदारी।

नेपीडॉ, 20 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। म्यांमार की राजधानी नेपीडॉ में 62वां भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (आईटीईसी) कार्यक्रम दिवस मनाया गया, जिसमें अनेक प्रवासियों और अधिकारियों ने भाग लिया।

भारत की प्रमुख क्षमता निर्माण पहल के तहत, म्यांमार में आईटीईसी लाभार्थियों, नागरिक एवं रक्षा आईटीईसी पाठ्यक्रमों के पूर्व छात्रों, वरिष्ठ अधिकारियों और म्यांमार में भारतीय समुदाय के सदस्यों सहित 250 से अधिक लोग इस समारोह में उपस्थित हुए।

इस समारोह का आयोजन भारतीय राजदूत अभय ठाकुर ने किया, जिसमें म्यांमार के प्रधानमंत्री न्यो सॉ मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थे।

इसके अतिरिक्त, विदेश मंत्री यू थान स्वे, निवेश और विदेशी आर्थिक संबंध मंत्री वाह वाह माउंग, विदेश उप मंत्री यू को को क्याव और विदेश उप मंत्री यू नाइंग मिन क्याव समेत विभिन्न मंत्रालयों और संस्थानों के वरिष्ठ प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।

भारतीय दूतावास के अनुसार, आईटीईसी कार्यक्रम 1996 में 30 स्लॉट के साथ शुरू हुआ था। पिछले कुछ वर्षों में यह संख्या बढ़कर लगभग 700 स्लॉट प्रतिवर्ष हो गई है, जिनमें से लगभग 500 का सक्रिय रूप से उपयोग किया जा रहा है। 2014 से म्यांमार के 4,500 से अधिक पेशेवरों ने आईटीईसी के अंतर्गत अल्पकालिक विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लिया।

सबसे लोकप्रिय पाठ्यक्रमों में अंग्रेजी भाषा में दक्षता, 21वीं सदी के पेशेवरों के लिए नेतृत्व, लोक नीति और प्रशासन, बजट, लेखा, वित्तीय प्रबंधन और डेटा विश्लेषण शामिल हैं।

भारतीय दूतावास द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है, "म्यांमार की आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं के अनुरूप लोगों के लाभ के लिए विकास सहयोग लंबे समय से दोनों देशों के द्विपक्षीय सहयोग की एक विशेषता रही है। यह कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं से लेकर चुनिंदा क्षेत्रों में क्षमता निर्माण और मानव संसाधन विकास के लिए दीर्घकालिक संस्थानों की स्थापना की पहल तक फैला हुआ है।"

समारोह के दौरान भारत की प्रमुख चल रही परियोजनाओं पर भी प्रकाश डाला गया, जिनमें कलादान मल्टी मॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट (केएमटीटीपी) और भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग शामिल हैं।

भारतीय दूतावास ने बताया कि म्यांमार की अमूल्य धार्मिक विरासत के दीर्घकालिक संरक्षण और भारत-म्यांमार के लोगों के बीच सदियों पुराने सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संबंधों को मजबूत करने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई), बागान शहर में भूकंप प्रभावित 72 पैगोडा का संरक्षण और जीर्णोद्धार 10 वर्षों में तीन चरणों में कर रहा है।

परियोजना का पहला चरण दिसंबर 2024 में पूरा हो गया था, जब दक्षिण पूर्व एशियाई देश के प्राचीन शहर बागान में राजदूत अभय ठाकुर और म्यांमार के केंद्रीय धार्मिक मामलों एवं संस्कृति मंत्री यू टिन ऊ ल्विन की उपस्थिति में 11 पैगोडा (22 काम) पूरा कर म्यांमार को सौंप दिए गए।

एएसआई की चार सदस्यीय टीम को लगभग 50 भूकंप प्रभावित पैगोडा सहित संरचनात्मक संरक्षण, रासायनिक संरक्षण और जीर्णोद्धार कार्यों के दूसरे चरण का काम सौंपा गया था। इस टीम ने सितंबर 2025 में अपना कार्य शुरू कर दिया।

भारतीय दूतावास ने आने वाले वर्षों में विभिन्न क्षेत्रों में म्यांमार के लोगों की सामाजिक-आर्थिक आवश्यकताओं को पूरा करने में अपनी सहायता जारी रखने के लिए भारत की प्रतिबद्धता पर भी जोर दिया।

Point of View

बल्कि दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और सामाजिक संबंधों को भी मजबूत करता है। भारत की प्रतिबद्धता म्यांमार के विकास के प्रति स्पष्ट है और यह सहयोग भविष्य में और भी विस्तारित होने की संभावना रखता है।
NationPress
23/12/2025

Frequently Asked Questions

आईटीईसी कार्यक्रम क्या है?
आईटीईसी कार्यक्रम भारत द्वारा विकसित एक तकनीकी और आर्थिक सहयोग कार्यक्रम है जो विकासशील देशों को प्रशिक्षण और सहायता प्रदान करता है।
भारत-म्यांमार संबंधों में आईटीईसी की भूमिका क्या है?
आईटीईसी कार्यक्रम भारत और म्यांमार के बीच सामाजिक-आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
इस वर्ष आईटीईसी दिवस पर कितने लोग उपस्थित थे?
इस वर्ष आईटीईसी दिवस पर 250 से अधिक लोग उपस्थित थे, जिसमें प्रवासी और अधिकारियों का समावेश था।
आईटीईसी कार्यक्रम कब शुरू हुआ था?
आईटीईसी कार्यक्रम 1996 में 30 स्लॉट के साथ शुरू हुआ था।
भारत की प्रमुख परियोजनाएं कौन सी हैं?
भारत की प्रमुख परियोजनाओं में कलादान मल्टी मॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट और भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग शामिल हैं।
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