क्या भारत-नाइजीरिया ने समुद्री डकैती रोकने और आतंकवाद-रोधी प्रशिक्षण पर चर्चा की?

सारांश
Key Takeaways
- भारत और नाइजीरिया के बीच द्विपक्षीय रक्षा सहयोग बढ़ा रहा है।
- आतंकवाद-रोधी प्रशिक्षण का महत्व बढ़ रहा है।
- समुद्री डकैती रोकने के उपायों पर ध्यान दिया गया।
- भारतीय रक्षा उद्योग की विशेषज्ञता का उपयोग किया जाएगा।
- दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों के बीच सहयोग की मजबूत नींव रखी गई।
नई दिल्ली, 12 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। भारत और नाइजीरिया एक साथ मिलकर आतंकवाद-रोधी प्रशिक्षण, अनुसंधान एवं विकास और समुद्री डकैती को रोकने के लिए प्रयास करेंगे। यह महत्वपूर्ण चर्चा मंगलवार को नई दिल्ली में हुई।
इस बैठक में रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने नाइजीरिया के रक्षा राज्य मंत्री डॉ. बेलो मोहम्मद माटावल्ले के साथ द्विपक्षीय वार्ता की। दोनों मंत्रियों ने द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को मजबूत करने और विभिन्न क्षेत्रों में सैन्य संबंधों को बढ़ाने के उपायों पर चर्चा की।
बैठक में आतंकवाद-रोधी प्रशिक्षण, अनुसंधान एवं विकास, समुद्री सहयोग (जिसमें हाइड्रोग्राफी और समुद्री डकैती-रोधी उपाय शामिल हैं) तथा औद्योगिक सहयोग के अवसरों पर बातचीत हुई।
रक्षा राज्य मंत्री ने नाइजीरिया के रक्षा राज्यमंत्री को भारतीय रक्षा उद्योग द्वारा निर्मित उच्च गुणवत्ता वाले रक्षा उपकरणों की जानकारी दी। उन्होंने हल्के लड़ाकू विमान, हल्के लड़ाकू हेलिकॉप्टर और ऑफशोर पेट्रोल वेसल बनाने की क्षमता पर जोर दिया। उन्होंने नाइजीरियाई पक्ष को अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया।
भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने नाइजीरिया के रक्षा अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो की टीम का स्वागत करने और संयुक्त अनुसंधान एवं विकास के क्षेत्रों की खोज करने की इच्छा व्यक्त की। डॉ. माटावल्ले ने भारतीय प्रतिनिधिमंडल को नाइजीरिया के रक्षा उद्योग का दौरा करने का निमंत्रण दिया, ताकि निवेश की संभावनाओं का पता लगाया जा सके।
डॉ. माटावल्ले 14 अगस्त तक भारत के दौरे पर हैं। इस दौरान नाइजीरियाई प्रतिनिधिमंडल ने भारतीय रक्षा उद्योगों के साथ बातचीत की।
भारत और नाइजीरिया के बीच लंबे समय से गर्मजोशी, मैत्रीपूर्ण और गहरे संबंध रहे हैं। रक्षा सहयोग का इतिहास 1960 के दशक की शुरुआत से है। विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश भारत और अफ्रीका का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश नाइजीरिया स्वाभाविक साझेदार हैं।