क्या बांग्लादेश की एनसीपी 'शापला' चुनाव चिन्ह को लेकर चुनाव आयोग को घेरने वाली है?

सारांश
Key Takeaways
- एनसीपी ने 'शापला' चुनाव चिन्ह की मांग की है।
- यदि चिन्ह नहीं मिला, तो चुनावों को रोकने की धमकी दी है।
- चुनाव आयोग ने एनसीपी के अनुरोध को अस्वीकार किया है।
- राजनीतिक अस्थिरता की संभावना बढ़ गई है।
ढाका, 4 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। नाहिद इस्लाम के नेतृत्व में बांग्लादेश की नेशनल सिटीजन्स पार्टी (एनसीपी) ने चेतावनी दी है कि यदि उसे उसके द्वारा मांगे गए चिन्हों में से एक- लाल या सफेद शापला (वाटर लिली) आवंटित नहीं किया गया, तो वह फरवरी 2026 के आम चुनावों को बाधित कर देगी।
चुनाव आयोग (ईसी) ने पुष्टि की है कि एनसीपी ने आरंभ में 'शापला,' कलम, या मोबाइल फोन के लिए आवेदन किया था, लेकिन बाद में उसने अपने अनुरोध को संशोधित कर दिया और बांग्लादेश के राष्ट्रीय पुष्प और प्रतीक - 'शापला' को चुनाव चिन्ह के रूप में लेने पर अड़ी हुई है।
एनसीपी के प्रमुख आयोजक सरजिस आलम ने अपने सोशल मीडिया पर लिखा, "चूँकि कोई कानूनी बाधा नहीं है, इसलिए एनसीपी का चिन्ह शापला ही होना चाहिए। कोई अन्य विकल्प नहीं है। अन्यथा, हम यह भी देखेंगे कि चुनाव कैसे होते हैं और कौन सत्ता पाने का सपना देखता है।"
24 सितंबर को, एनसीपी संयोजक इस्लाम ने चुनाव आयोग को एक ईमेल भेजकर 'शापला' को चुनाव चिन्ह के रूप में देने का अनुरोध किया था। यह तब हुआ जब चुनाव आयोग ने उनका अनुरोध यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया था कि पार्टी को यह चिन्ह आवंटित नहीं किया जाएगा।
एनसीपी के आवेदन में कहा गया है कि 4 जून को एनसीपी के प्रतिनिधियों ने चुनाव आयोग कार्यालय में समिति के एक सदस्य से मुलाकात की थी, जहां उन्हें आश्वासन दिया गया था कि 'शापला' को अंतिम सूची में शामिल किया जाएगा। इसके बाद, 22 जून को, पार्टी ने चुनाव आयोग की 10 मार्च की सार्वजनिक अधिसूचना के अनुरूप राजनीतिक दल के रूप में पंजीकरण के लिए आवेदन किया और 'शापला' चुनाव चिन्ह आरक्षित करने की भी मांग की। हालाँकि, चुनाव आयोग ने इस अनुरोध को अस्वीकार कर दिया।