क्या बोंडी बीच ट्रेजेडी के अर्पित फूलों और खिलौनों को संरक्षित किया जाएगा?
सारांश
Key Takeaways
- बोंडी बीच पर श्रद्धांजलियां सामूहिक स्मृति का प्रतीक हैं।
- स्थानीय काउंसिल ने पुष्पांजलियों को संरक्षित करने का निर्णय लिया है।
- संग्रहालयों की मदद से श्रद्धांजलियों को सुरक्षित रखा जाएगा।
- स्थायी स्मारक के निर्माण पर चर्चा चल रही है।
- फूलों का संरक्षण और खिलौनों का दान किया जाएगा।
सिडनी, 21 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। बोंडी बीच पर हुई सामूहिक शूटिंग को एक सप्ताह हो चुका है। जहां आतंकवादियों ने गोलियां चलाईं, वहां अब फूल, सॉफ्ट टॉय, और दिल को छू लेने वाले नोट्स रखे गए हैं। पिछले 7 दिनों से हर शाम लोग यहां आकर अपने जज़्बात व्यक्त करते रहे हैं। शनिवार रात को भी कुछ ऐसा ही हुआ। रविवार को राष्ट्रीय शोक दिवस के आयोजन की पूर्व संध्या पर, सैकड़ों लोग इकट्ठा हुए और इस कठिन समय में रोशनी फैलाने के लिए अपने फोन की लाइटें जलाईं।
इसके बाद यह घोषणा की गई कि जो भी फूल यहां अर्पित किए गए हैं, उन्हें संरक्षित किया जाएगा।
स्थानीय काउंसिल ने बताया कि 22 दिसंबर से इन फूलों और ट्रिब्यूट्स को नहीं हटाया जाएगा। यहां एक स्थायी स्मारक बनाने पर विचार चल रहा है।
वेवरली के मेयर विल नेमेष ने कहा, "स्थायी स्मारक के विषय में चर्चा बाद में की जाएगी।" बोंडी पवेलियन के चारों ओर साइनबोर्ड लगाए गए हैं जिससे लोगों को सूचित किया जा सके कि हटाने की प्रक्रिया 22 दिसंबर से शुरू होगी। लोगों को यह भी बताया गया है कि "सिडनी ज्यूइश म्यूजियम और ऑस्ट्रेलियन ज्यूइश हिस्टोरिकल सोसाइटी इन चीजों को इकट्ठा करने और सुरक्षित रखने में मदद करेंगे।"
काउंसिल, प्रीमियर के डिपार्टमेंट के साथ मिलकर उसी तरह से काम करेगी, जैसे पिछले साल अप्रैल में बोंडी जंक्शन हमलों के बाद किया गया था। योजना है कि फूलों का संरक्षण किया जाएगा, जबकि खिलौनों को दान कर दिया जाएगा। कुछ कार्ड और नोट्स रखे जाएंगे, जबकि बाकी को रीसायकल किया जाएगा। काउंसिल एक स्थायी स्मारक के विचार पर विचार कर रही है और साथ ही यह भी चर्चा कर रही है कि क्या उस फुटब्रिज को हटाया जाए जिसका उपयोग हमलावरों ने आतंकी हमले के लिए किया था।
यह स्पष्ट है कि लोगों द्वारा चढ़ाई गई पुष्पांजलियां अब केवल शोक की अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि सामूहिक स्मृति का प्रतीक बन चुकी हैं। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि समुद्र तट पर रखी गई फूलों की श्रद्धांजलियों को हटाया जाएगा, लेकिन उन्हें नष्ट नहीं किया जाएगा ताकि आने वाली पीढ़ियां इस त्रासदी और उससे जुड़े मानवीय भावनात्मक क्षणों को समझ सकें।
यह स्पष्ट किया गया है कि यह कदम संवेदनहीनता नहीं, बल्कि स्मृति-संरक्षण की जिम्मेदारी के तहत उठाया जा रहा है। संग्रहालयों और अभिलेखागार विशेषज्ञों की मदद से इन पुष्पांजलियों को संरक्षित किया जाएगा।