क्या चक्रवात दितवाह से श्रीलंका में भारतीय वायुसेना ने 10 बच्चों समेत 57 लोगों को सुरक्षित निकाला?
सारांश
Key Takeaways
- चक्रवात दितवाह ने भारी तबाही मचाई है।
- भारतीय वायुसेना ने 57 लोगों को सुरक्षित निकाला।
- राहत सामग्री त्रिंकोमाली में पहुंचाई गई।
- एनडीआरएफ भी राहत कार्य में शामिल है।
- कैंडी में सबसे अधिक नुकसान हुआ है।
कोलंबो, 1 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। श्रीलंका में चक्रवात दितवाह के कारण अब तक कम से कम 334 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि 370 लोग अब भी लापता हैं। इस बीच, भारतीय वायुसेना (आईएएफ) ने श्रीलंका के आपदाग्रस्त क्षेत्रों में फंसे लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण सहारा साबित किया है। आईएएफ ने सोमवार को 10 बच्चों समेत 57 लोगों को सुरक्षित निकाला।
भारतीय उच्चायोग के आधिकारिक हैंडल के अनुसार, ऑपरेशन सागर बंधु के तहत लोगों की जान बचाने का कार्य जारी है। भारतीय वायुसेना का आईएफसी 1875 हेलीकॉप्टर सुबह इरुंगुवाट्टा से मटाले तक 10 बच्चों सहित 57 फंसे हुए लोगों को सुरक्षित निकालने में सफल रहा। इसके अलावा, कीगल में 2.5 टन राशन भी पहुंचाया गया।
इससे पहले, उच्चायोग ने कहा कि त्रिंकोमाली में और भी जरूरी राहत सामग्री पहुंचाई गई है। ऑपरेशन सागर बंधु के तहत आईएनएस सुकन्या ने सुबह त्रिंकोमाली में 12 टन जरूरी राहत सामग्री भेजी, जो चक्रवात दितवाह के बाद चल रहे बचाव और राहत प्रयासों में सहायक रही। इसे तत्काल वितरण के लिए श्रीलंकाई अधिकारियों को सौंप दिया गया।
इस दौरान, श्रीलंका के पर्यटन उप मंत्री रुवान रणसिंघे ने भारत और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) को उनके आपदा प्रतिक्रिया अभियानों के लिए धन्यवाद दिया।
उन्होंने कहा कि भूस्खलन विशेषज्ञों सहित एनडीआरएफ की एक टीम बदुल्ला जिले में श्रीलंकाई अधिकारियों के साथ मिलकर काम कर रही है ताकि भूस्खलन से हुए नुकसान को कम किया जा सके और जहां भी संभव हो, आवश्यक सहायता पहुंचाई जा सके।
ऑपरेशन सागर बंधु के तहत, भारतीय वायुसेना ने श्रीलंका के आपदाग्रस्त क्षेत्रों से 40 श्रीलंकाई सैनिकों और 104 भारतीयों का रेस्क्यू किया।
इस तूफान ने कैंडी शहर में सबसे अधिक तबाही मचाई है, जहां अब तक 88 मौतें हुई हैं, जबकि 150 लोग लापता बताए गए हैं। बादुल्ला में 71, नुवारा एलिया में 68 और मटाले में 23 लोगों की मृत्यू हुई है। डेली मिरर के अनुसार, इस आपदा ने देशभर के 309,607 परिवारों के 1,118,929 लोगों को प्रभावित किया है। कुछ इलाके ऐसे हैं, जहां संपर्क पूरी तरह से बाधित हो गया है, जिससे रेस्क्यू ऑपरेशन में भी बाधाएं आ रही हैं।