क्या चीनी राजदूत और अफगानिस्तान के मंत्री की मुलाकात में पाकिस्तान-तालिबान तनाव पर चर्चा हुई?
सारांश
Key Takeaways
- चीन और अफगानिस्तान के बीच ऐतिहासिक संबंध हैं।
- अफगानिस्तान की धरती का उपयोग किसी अन्य देश के खिलाफ नहीं किया जाएगा।
- बातचीत और समझ के माध्यम से मुद्दों का समाधान होना चाहिए।
- चीन, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच मतभेदों को सुलझाने में मदद करना चाहता है।
- सीजफायर के बावजूद तनाव की स्थिति बनी हुई है।
नई दिल्ली, २४ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तनाव का दौर लगातार जारी है। इसी संदर्भ में, अफगानिस्तान के डिप्टी विदेश मंत्री डॉ. मोहम्मद नईम और चीनी राजदूत यू शियाओयोंग के बीच एक महत्वपूर्ण मुलाकात हुई। बैठक के दौरान, दोनों नेताओं ने हाल के अफगान-पाक तनाव की स्थिति पर गहन चर्चा की। इसके अलावा, दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों पर भी विचार विमर्श हुआ।
अफगानिस्तान के डिप्टी विदेश मंत्री डॉ. मोहम्मद नईम ने बताया कि चीन और अफगानिस्तान ऐतिहासिक दृष्टि से एक-दूसरे के नजदीकी पड़ोसी हैं और इन दोनों देशों में कई समानताएँ हैं।
उन्होंने चीन के सहयोग के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस्लामिक अमीरात सभी देशों के साथ आपसी आदर के आधार पर संवाद के लिए प्रतिबद्ध है। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अफगानिस्तान की भूमि का उपयोग किसी अन्य देश के खिलाफ नहीं किया जाएगा।
पाकिस्तान के साथ हाल के तनाव के संदर्भ में, अफगान मंत्री ने जोर देकर कहा कि पाकिस्तान पिछले चार वर्षों से इस्लामिक अमीरात के धैर्य की परीक्षा ले रहा है, जिससे उन्हें जवाब देने के लिए मजबूर होना पड़ा है। उन्होंने यह भी कहा कि अमीरात का ठोस रुख यह है कि मुद्दों का समाधान बातचीत और समझ के माध्यम से किया जाना चाहिए।
इस बीच, अफगानिस्तान में चीन के राजदूत यू शियाओयोंग ने कहा कि चीन आपसी आदर के आधार पर अफगानिस्तान के साथ दीर्घकालिक संबंधों को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है और उसकी राष्ट्रीय संप्रभुता का सम्मान करता है। उन्होंने आगे कहा कि चीन अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच मतभेदों के समाधान में एक रचनात्मक भूमिका निभाना चाहता है और कतर तथा तुर्की के मध्यस्थता प्रयासों का स्वागत करता है।
यह ध्यान देने योग्य है कि हाल के दिनों में अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच सीमा पर गंभीर तनाव देखने को मिला है। दोनों पक्षों के बीच हुई हिंसक झड़पों में कई लोगों की मृत्यु के बाद, कतर और तुर्की के मध्यस्थता प्रयासों के तहत एक सीजफायर समझौता हुआ है। हालांकि, सीजफायर के बावजूद तनाव की स्थिति अभी भी बनी हुई है।