क्या चीन के विदेश मंत्री वांग यी भारत आ रहे हैं?

सारांश
Key Takeaways
- चीन के विदेश मंत्री वांग यी का भारत दौरा 18 अगस्त को होगा।
- प्रधानमंत्री मोदी का एससीओ सम्मेलन में भाग लेना संभावित सहयोग का संकेत देता है।
- भारत-चीन संबंधों में सुधार की संभावनाएं बढ़ रही हैं।
- एलएसी पर गश्त समझौता एक महत्वपूर्ण कदम है।
- द्विपक्षीय संबंधों पर सकारात्मक चर्चाएं हो रही हैं।
बीजिंग/नई दिल्ली, 13 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। चीन के विदेश मंत्री वांग यी 18 अगस्त को भारत की यात्रा पर आ रहे हैं। इस यात्रा के दौरान वह 'स्पेशल रिप्रजेंटेटिव मैकेनिज्म' के तहत भारतीय अधिकारियों के साथ महत्वपूर्ण चर्चा करेंगे।
यह दौरा विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि इसके कुछ ही दिनों बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के तियानजिन शहर में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन जाएंगे। यह सम्मेलन 31 अगस्त से 1 सितंबर तक आयोजित किया जाएगा।
8 अगस्त को, चीन ने प्रधानमंत्री मोदी के इस सम्मेलन में भाग लेने का सार्वजनिक रूप से स्वागत किया।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने शुक्रवार को कहा, "चीन प्रधानमंत्री मोदी का एससीओ तियानजिन सम्मेलन में स्वागत करता है। हमें विश्वास है कि सभी देशों के सहयोग से यह सम्मेलन एकजुटता, मित्रता और सार्थक परिणामों को सुनिश्चित करेगा। साथ ही, एससीओ एक नए चरण में प्रवेश करेगा, जिसमें अधिक समन्वय, ऊर्जा और उत्पादकता होगी।"
गुओ ने यह भी बताया कि यह एससीओ के इतिहास का सबसे बड़ा सम्मेलन होगा, जिसमें 20 से अधिक देशों के नेता और 10 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रमुख शामिल होंगे।
प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा 2020 में लद्दाख की गलवान घाटी संघर्ष के बाद पहली चीन यात्रा होगी, जिसने भारत-चीन संबंधों में एक महत्वपूर्ण दरार पैदा की थी।
हालांकि, अब दोनों देशों के बीच लगभग 3,500 किमी लंबी एलएसी पर गश्त को लेकर समझौता हुआ है। इसे चार साल पुराने सीमा विवाद को हल करने की दिशा में पहला ठोस कदम माना जा रहा है।
जुलाई 2025 में विदेश मंत्री एस. जयशंकर चीन गए थे। वहां उन्होंने एससीओ विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लिया और साथ ही चीन के विदेश मंत्री वांग यी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मुलाकात की।
जून 2025 में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी चीन में एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक में शामिल हुए थे। हालाँकि, भारत ने उस बैठक के संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर नहीं किए, क्योंकि उसमें आतंकवाद पर भारत की चिंताओं को शामिल नहीं किया गया था।
राजनाथ सिंह ने चीन के रक्षा मंत्री एडमिरल डोंग जून से भी मुलाकात की और द्विपक्षीय संबंधों पर सकारात्मक चर्चा की थी।
इसके अलावा, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी एससीओ सुरक्षा परिषद सचिवों की 20वीं बैठक में भाग लेने चीन गए थे।