क्या एनरॉन स्कैंडल ने अमेरिका की कॉरपोरेट दुनिया को हिला दिया?
सारांश
Key Takeaways
- एनरॉन स्कैंडल ने कॉरपोरेट गवर्नेंस की खामियों को उजागर किया।
- आर्थिक धोखाधड़ी और पारदर्शिता की आवश्यकता को समझना आवश्यक है।
- सरबेंस-ऑक्सले एक्ट ने वित्तीय रिपोर्टिंग के मानकों को मजबूत किया।
- व्हिसलब्लोअर्स की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।
- एक कंपनी की विफलता का प्रभाव व्यापक हो सकता है।
नई दिल्ली, 1 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिसंबर 2001 की शुरुआत में अमेरिका की आर्थिक व्यवस्था को एक बड़ा झटका देने वाली ख़बर सामने आई—एनरॉन, जिसे कभी “अमेरिका की सबसे नवोन्मेषी कंपनी” माना गया था, कुछ ही महीनों में ढह गई।
यह गिरावट केवल एक कंपनी की नहीं थी, बल्कि उस कॉरपोरेट संस्कृति की थी जो मुनाफे की चमक के पीछे छिपी हेराफेरी को सुनियोजित तरीके से छुपाती रही। यह कुछ वैसा ही था जैसे 1990 के दशक का हर्षद मेहता घोटाला, जिसने शेयर बाजार पर भी गहरा असर डाला था।
एनरॉन का मॉडल ऊर्जा व्यापार के नए युग का प्रतीक माना गया था, लेकिन बाद में यह स्पष्ट हुआ कि कंपनी ने अपने घाटे और बढ़ते कर्ज को छुपाने के लिए जटिल अकाउंटिंग तकनीकों और संदिग्ध पार्टनरशिप कंपनियों का जाल बिछाया था। बैलेंस शीट में काल्पनिक मुनाफा दर्शाया गया और निवेशकों को एक ऐसी तस्वीर पेश की गई थी जो वास्तविकता से बिल्कुल विपरीत थी।
जब व्हिसलब्लोअर्स और मीडिया की रिपोर्टों ने एनरॉन के झूठ का पर्दाफाश किया, तो कंपनी के शेयर कुछ ही हफ्तों में 90 डॉलर से गिरकर एक डॉलर से भी नीचे पहुंच गए। लाखों लोगों की जमा-पूंजी, पेंशन फंड और निवेश बर्बाद हो गए। इस घोटाले ने अमेरिका की सबसे प्रतिष्ठित ऑडिट फर्म आर्थर एंडरसन को भी समाप्ति के कगार पर ला दिया, क्योंकि उस पर एनरॉन के अकाउंट्स को गलत तरीके से क्लीन-चिट देने का आरोप लगा।
एनरॉन के पतन ने अमेरिकी प्रणाली को कठघरे में खड़ा कर दिया। सवाल उठने लगे कि क्या ऑडिट और रेगुलेटरी प्रक्रियाएं केवल कागजी हैं? इसी घोटाले के कारण अमेरिका में सरबेंस-ऑक्सले एक्ट आया जिसने कॉरपोरेट गवर्नेंस, वित्तीय पारदर्शिता और अकाउंटिंग स्टैंडर्ड्स को नई परिभाषा दी।
एनरॉन ने दुनिया को यह सिखाया कि असीमित मुनाफे की लालसा और सिस्टम की खामियों का फायदा उठाने की प्रवृत्ति किस तरह वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए खतरा बन सकती है। आज भी एनरॉन स्कैंडल आधुनिक कॉरपोरेट इतिहास का एक काला अध्याय है जिसने सरकारों, निवेशकों और कंपनियों को हमेशा के लिए सतर्क कर दिया। हालांकि कंपनी 'वी आर बैक' कैम्पेन के जरिए पुनः खुद को खड़ा करने में जुटी हुई है।