क्या इथियोपिया में मई में मलेरिया के 5 लाख से अधिक मामले सामने आए?

सारांश
Key Takeaways
- इथियोपिया में मलेरिया के मामले बढ़ रहे हैं।
- मई में 5,20,782 मामले दर्ज किए गए हैं।
- स्वास्थ्य सेवाओं में बाधाएं हैं।
- मच्छरों से बचाव जरूरी है।
- गर्भवती महिलाएं और छोटे बच्चे अधिक जोखिम में हैं।
अदीस अबाबा, 2 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। इथियोपिया में मलेरिया के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, मई में 5,20,782 मलेरिया के मामलों का पता चला है। यह एक महीने में दर्ज की गई सबसे बड़ी संख्या है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी हालिया रिपोर्ट में बताया कि इथियोपिया में मलेरिया के साथ-साथ, कालरा, खसरा और एमपॉक्स जैसी अन्य बीमारियों का प्रकोप भी जारी है। देश के कुछ हिस्सों में चल रहे संघर्ष के कारण स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में बाधाएं उत्पन्न हो रही हैं। इन क्षेत्रों में निवासियों को तत्काल सहायता की आवश्यकता है। हालांकि, सहायता पहुंचाने में कई चुनौतियां आ रही हैं।
मलेरिया इथियोपिया में एक सामान्य बीमारी है, खासकर उन क्षेत्रों में जो समुद्र तल से 2,000 मीटर से नीचे स्थित हैं। यह क्षेत्र देश के तीन-चौथाई हिस्से को कवर करता है, जहाँ लगभग 69 प्रतिशत जनसंख्या मलेरिया के खतरे में है।
मलेरिया का प्रकोप आमतौर पर सितंबर से दिसंबर और अप्रैल से मई के बीच बढ़ता है, क्योंकि ये महीने बारिश के मौसम के बाद आते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, साल 2024 में इथियोपिया में 84 लाख से अधिक मलेरिया के मामले सामने आए, जो देश में अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है।
स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, मलेरिया एक जानलेवा बीमारी है, जो कुछ विशेष प्रकार के मच्छरों के काटने से फैलती है। यह बीमारी मुख्य रूप से उन देशों में पाई जाती है, जहाँ गर्मी बहुत पड़ती है। यह एक परजीवी के कारण होती है और यह व्यक्ति से व्यक्ति में नहीं फैलती।
मलेरिया के हल्के लक्षणों में बुखार, ठंड लगना और सिरदर्द शामिल हैं, जबकि गंभीर मामलों में थकान, कन्फ्यूजन, दौरे पड़ना और सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। शिशु, पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चे, गर्भवती महिलाएं, यात्री और एचआईवी, एड्स से प्रभावित लोग इस बीमारी से अधिक प्रभावित हो सकते हैं।
मलेरिया को रोकने के लिए मच्छरों के काटने से बचाव करना आवश्यक है। इसके लिए मच्छरदानी और दवाओं का उपयोग किया जा सकता है। अगर सही समय पर इलाज शुरू किया जाए, तो हल्के मामलों को गंभीर होने से रोका जा सकता है।