क्या जेलीफिश की वजह से फ्रांस में परमाणु संयंत्र बंद हुआ?

सारांश
Key Takeaways
- फ्रांस का ग्रेवलाइन्स परमाणु संयंत्र जेलीफिश के कारण बंद हुआ।
- ईडीएफ ने इसे एक सुरक्षा समस्या नहीं माना।
- कूलिंग सिस्टम में जेलीफिश का असर सामान्य बात है।
- फ्रांस की 70% बिजली परमाणु संयंत्रों से आती है।
- संयंत्र की उत्पादन क्षमता 900 मेगावाट है।
नई दिल्ली, 12 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। फ्रांस का 'ग्रेवलाइन्स परमाणु ऊर्जा संयंत्र' एक विशाल जेलीफिश झुंड के कारण अपने आप बंद हो गया। ऊर्जा संयंत्र संचालित करने वाली कंपनी ईडीएफ ने सोमवार को इस घटना की जानकारी दी।
ईडीएफ ने बताया कि समुद्री जीवों के इस झुंड ने संयंत्र के कूलिंग सिस्टम के फिल्टरों को जाम कर दिया। जेलीफिश की बड़ी संख्या के चलते संयंत्र की चार बिजली इकाइयां अपने आप बंद हो गईं। इस घटना के कारण पूरा संयंत्र बंद हो गया। रखरखाव के कारण पहले से ही दो अन्य इकाइयां बंद थीं।
उर्जा समूह ने कहा, "रविवार देर रात हुई इस घटना का संयंत्र, कर्मियों और पर्यावरण की सुरक्षा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। जिलेटिन जैसे जीव संयंत्र के गैर-परमाणु हिस्से तक ही पहुंच पाए।"
संस्था ने जानकारी दी कि "संयंत्र की टीमें सक्रिय हो गई हैं और उत्पादन इकाइयों को सुरक्षित रूप से फिर से शुरू करने के लिए आवश्यक निर्देश दिए गए हैं।"
यह परमाणु संयंत्र उत्तरी सागर से जुड़े एक चैनल से कूलिंग जल प्राप्त करता है। उत्तरी सागर में कई जेलीफिश प्रजातियां पाई जाती हैं।
संयंत्र संचालन करने वाली कंपनी ने घटना में शामिल जेलीफिश के बारे में सटीक जानकारी नहीं दी है।
जेलीफिश का तटीय बिजली संयंत्रों में काम में बाधा डालने का लंबा इतिहास है। ये बार-बार कूलिंग प्रणालियों में फंस जाती हैं और परमाणु एवं पारंपरिक ऊर्जा संयंत्रों के पाइपों को अवरुद्ध कर देती हैं।
ग्रेवलाइन्स बिजली संयंत्र फ्रांस के सबसे बड़े परमाणु संयंत्रों में से एक है। फ्रांस की 70 प्रतिशत बिजली परमाणु प्रतिष्ठानों से आती है। इस संयंत्र की छह इकाइयों में से प्रत्येक का अधिकतम उत्पादन 900 मेगावाट है, जिससे यह स्टेशन अकेले अनुमानित 50 लाख घरों को बिजली प्रदान करने में सक्षम है।