क्या जिनेवा प्रदर्शनी में पाकिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर जारी उत्पीड़न का खुलासा किया गया?

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क्या जिनेवा प्रदर्शनी में पाकिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर जारी उत्पीड़न का खुलासा किया गया?

सारांश

जिनेवा में आयोजित प्रदर्शनी में पाकिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न का खुलासा किया गया। यह कार्यक्रम मानवाधिकारों की स्थिति पर महत्वपूर्ण चर्चा का केंद्र बना। जानें कैसे इन समुदायों की आवाज़ को सशक्त किया गया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता बढ़ाई गई।

Key Takeaways

  • पाकिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न जारी है।
  • संविधानिक भेदभाव और लक्षित हिंसा का सामना करना पड़ रहा है।
  • अंतरराष्ट्रीय जागरूकता और कार्रवाई की आवश्यकता है।
  • जीएचआरडी जैसे संगठनों की भूमिका महत्वपूर्ण है।
  • सभी समुदायों को समान अधिकार मिलना चाहिए।

जिनेवा, १२ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। ग्लोबल ह्यूमन राइट्स डिफेंस (जीएचआरडी) द्वारा जिनेवा में ब्रोकेन चेयर स्मारक के पास स्थित प्लेस डेस नेशंस में आयोजित एक प्रदर्शनी ने पाकिस्तान और बांग्लादेश में कमजोर अल्पसंख्यकों के सामने आ रहे उत्पीड़न और मानवाधिकारों के उल्लंघन पर ध्यान केंद्रित किया।

८-१० सितंबर तक चलने वाले इस तीन दिवसीय कार्यक्रम ने आम जनता, सिविल सोसायटी के कार्यकर्ताओं और अंतरराष्ट्रीय दर्शकों का ध्यान आकर्षित किया।

प्रदर्शनी ने प्रभावशाली पोस्टरों, सांख्यिकीय साक्ष्यों और पीड़ितों के चित्रों के माध्यम से पाकिस्तान में अहमदिया, सिंध और बलूच समुदायों के अलावा बांग्लादेश में हिंदू, बौद्ध और ईसाई अल्पसंख्यकों की आवाज़ को प्रमुखता दी, जिन्हें प्रायः चुप करा दिया जाता है या अनदेखा किया जाता है।

जीएचआरडी द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है, "ये समूह संविधानिक भेदभाव, लक्षित हिंसा, जबरन धर्मांतरण, अपहरण और धर्म या आस्था की स्वतंत्रता पर प्रतिबंधों का सामना करते हैं। पाकिस्तान में अहमदिया समुदाय के सदस्य कानूनी रूप से मताधिकार से वंचित रहते हैं और अक्सर नफरत भरे अभियानों का शिकार होते हैं, जबकि बलूच और सिंधी कार्यकर्ता अक्सर जबरन गायब और न्यायेतर हत्याओं का शिकार होते हैं।"

“बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों को धमकियों, पूजा स्थलों के विनाश और राजनीतिकसामाजिक जीवन में हाशिए पर धकेले जाने का सामना करना पड़ता है। दोनों देशों में पीड़ितों को अक्सर न्याय और सुरक्षा नहीं मिलती, जिससे वे बार-बार दुर्व्यवहार के शिकार होते हैं।”

इस प्रदर्शनी ने व्यापक दर्शकों को आकर्षित किया, जिससे पाकिस्तान और बांग्लादेश में इन समूहों के खिलाफ चल रहे संविधानिक भेदभाव और अत्याचारों से निपटने की तत्काल आवश्यकता का आह्वान किया गया।

आगंतुकों ने सामग्री का गहन अध्ययन किया, कई ने एकजुटता के भावपूर्ण वक्तव्य दिए और अधिक अंतरराष्ट्रीय जागरूकता और कार्रवाई का आह्वान किया।

प्रदर्शनी को मिले जबरदस्त सार्वजनिक स्वागत ने दक्षिण एशिया में अल्पसंख्यकों की स्थिति के बारे में बढ़ती चिंता को दर्शाया। जीएचआरडी ने संयुक्त राष्ट्र, अंतरराष्ट्रीय नीति निर्माताओं और मानवाधिकार संगठनों से कमजोर समुदायों की रक्षा और अपराधियों को जवाबदेह ठहराने के लिए ठोस कदम उठाने का आह्वान किया।

इस सप्ताह की शुरुआत में जिनेवा में मानवाधिकार परिषद के ६०वें सत्र में 'हाशिये से आवाजें: दक्षिण एशिया में अल्पसंख्यक अधिकारों की रक्षा' शीर्षक से एक कार्यक्रम ने दक्षिण एशिया में चिंताजनक स्थिति, विशेष रूप से पाकिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न और बांग्लादेश में हिंदुओं और मूलनिवासी समूहों को निशाना बनाए जाने की दिशा में ध्यान आकर्षित किया।

जीएचआरडी ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर इस कार्यक्रम की मेज़बानी की, जिसमें ग्रीस, डेनमार्क, चीन, भारत और बांग्लादेश सहित नागरिक समाज, मिशनों और स्थायी प्रतिनिधियों के कम से कम ५० सदस्यों ने भाग लिया।

Point of View

हमें यह समझना चाहिए कि मानवाधिकारों का उल्लंघन किसी भी समाज के लिए चिंता का विषय है। हमारे देश की गरिमा और समानता की रक्षा के लिए यह आवश्यक है कि हम इन मुद्दों पर संवेदनशील रहें और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी आवाज़ उठाएं।
NationPress
12/09/2025

Frequently Asked Questions

जिनेवा प्रदर्शनी में किसने भाग लिया?
इस प्रदर्शनी में ग्लोबल ह्यूमन राइट्स डिफेंस के अलावा, सिविल सोसायटी, विभिन्न देशों के प्रतिनिधि और आम जनता ने भाग लिया।
प्रदर्शनी का मुख्य उद्देश्य क्या था?
इस प्रदर्शनी का मुख्य उद्देश्य पाकिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ चल रहे उत्पीड़न और मानवाधिकारों के उल्लंघनों को उजागर करना था।
इस प्रदर्शनी से क्या संदेश मिला?
प्रदर्शनी ने यह स्पष्ट किया कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इन मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए और कार्रवाई करनी चाहिए।